उत्तर-पूर्वी दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके में शुक्रवार की शाम एक बड़ी दुर्घटना हो गई जब एक चार मंज़िला इमारत अचानक भरभराकर गिर पड़ी। हादसे की जानकारी मिलते ही इलाके में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। मौके पर पुलिस, फायर ब्रिगेड और आपदा राहत टीम मौजूद है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इमारत गिरते समय वहां कई लोग मौजूद थे और अब तक कई के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि यह इमारत काफी समय से जर्जर हालत में थी, लेकिन फिर भी उसमें लोग रह रहे थे।
घटना के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर दुख जताया और कहा,
“मुस्तफाबाद में इमारत गिरने की घटना बहुत दुखद है। राहत और बचाव कार्य जारी है। प्रशासन मौके पर है और हम पूरी स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं। ईश्वर सभी की रक्षा करें।”
वहीं स्थानीय विधायक ने इस हादसे को लेकर एक गंभीर चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि इलाके में ऐसी कई और इमारतें हैं जो बेहद खतरनाक हालत में हैं। यदि समय रहते प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले दिनों में ऐसे और बड़े हादसे हो सकते हैं।
जर्जर इमारतें बन रही हैं जानलेवा
दिल्ली के पुराने और भीड़भाड़ वाले इलाकों में कई इमारतें दशकों पुरानी हैं, जिनकी न तो मरम्मत की जाती है और न ही समय-समय पर सुरक्षा जांच। मुस्तफाबाद, सीलमपुर, जाफराबाद जैसे इलाकों में दर्जनों इमारतें ऐसी हैं जो जर्जर अवस्था में हैं और प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
घटना के तुरंत बाद फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियाँ, पुलिस और स्थानीय प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। अब तक कई लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है, लेकिन मलबे के नीचे और लोगों के दबे होने की आशंका के चलते ऑपरेशन अभी जारी है। NDRF की टीम को भी तैनात किया गया है।
स्थानीय लोग भी रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद कर रहे हैं। कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें लोग मलबा हटाने में हाथ बंटाते नजर आ रहे हैं।
प्रशासन पर उठे सवाल
इस हादसे के बाद एक बार फिर दिल्ली में प्रशासन की लापरवाही सवालों के घेरे में है। आखिर इतनी पुरानी और खतरनाक इमारतों की पहचान के बावजूद कोई सख्त कदम क्यों नहीं उठाया गया? क्यों लोगों को ऐसी इमारतों में रहने दिया जाता है?
स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार निगम में शिकायत की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब जब हादसा हो गया है तो प्रशासन हरकत में आया है।
मुस्तफाबाद की इस घटना ने दिल्ली के खतरनाक भवनों की स्थिति को उजागर कर दिया है। ये केवल एक हादसा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि अगर समय रहते प्रशासन ने जरूरी कदम नहीं उठाए, तो ऐसी त्रासदियाँ और बढ़ सकती हैं। आम लोगों की जान की सुरक्षा केवल राहत कार्यों से नहीं, बल्कि समय रहते की गई रोकथाम से संभव है।