नई दिल्ली के केंद्र में स्थित ‘हेराल्ड हाउस’ की ऊँची इमारत के पीछे एक ऐसी कहानी छिपी है, जो राजनीतिक सत्ता, विशेषाधिकार और जनता के विश्वास के साथ कथित विश्वासघात का प्रतीक बन चुकी है। यह कहानी भारत के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवार, गांधी परिवार की विरासत को चुनौती देती है।
क्या है नेशनल हेराल्ड?
नेशनल हेराल्ड केवल एक अख़बार नहीं है। इसकी स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। स्वतंत्रता के बाद यह अख़बार कांग्रेस पार्टी की आवाज़ बन गया। इसे प्रकाशित करने वाली कंपनी ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड’ (AJL) के पास 1,057 शेयरधारक थे।
समय बीतने के साथ नेशनल हेराल्ड आर्थिक संकट में डूब गया और 2008 में यह अख़बार बंद हो गया। उस समय उस पर ₹90 करोड़ से अधिक का कर्ज था। लेकिन कंपनी के पास भारत के विभिन्न हिस्सों में करोड़ों की संपत्ति बची रही, जिसकी वर्तमान में अनुमानित कीमत ₹5,000 करोड़ है।
यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) क्या है?
2010 में ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ नामक एक नई कंपनी बनाई गई, जिसे गैर-लाभकारी संस्था के रूप में पंजीकृत किया गया था।
कुछ ही महीनों में इस कंपनी ने AJL पर कांग्रेस पार्टी द्वारा दिए गए ₹90.21 करोड़ के कर्ज को केवल ₹50 लाख में अधिग्रहित कर लिया। इसके बाद AJL ने इस ऋण को इक्विटी में बदल दिया, जिससे YIL को कंपनी का 99% स्वामित्व मिल गया और उसके साथ करोड़ों की संपत्तियाँ भी।
AJL के मूल शेयरधारकों में से अधिकांश को इस लेन-देन की कोई सूचना नहीं दी गई। इनमें स्वतंत्रता सेनानियों के वंशज भी शामिल थे। बाद में 13 दिसंबर 2010 को राहुल गांधी को यंग इंडियन का निदेशक नियुक्त किया गया और 22 जनवरी 2011 को सोनिया गांधी भी बोर्ड में शामिल हो गईं। कंपनी के निदेशक मंडल में राहुल गांधी, सोनिया गांधी (76% शेयरधारक), और उनके करीबी माने जाने वाले नेता जैसे मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे शामिल थे।
कई शेयरधारकों जैसे पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण और पूर्व मुख्य न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने आरोप लगाया कि उनके पिता द्वारा खरीदे गए AJL के शेयरों को बिना सूचना और सहमति के ट्रांसफर कर दिया गया।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच और आरोप
इस केस की शुरुआत जून 2014 में हुई जब वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक निजी शिकायत दर्ज करवाई। इसके आधार पर 2021 में ED ने जांच शुरू की।
आख़िरकार 9 अप्रैल 2025 को ED ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ पहली चार्जशीट दायर की।
इस चार्जशीट में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) की धारा 3, 4 और 70 को जोड़ा गया है। यदि दोषी पाए जाते हैं, तो अधिकतम 7 साल की सजा हो सकती है।
चार्जशीट में आरोप है कि यंग इंडियन और AJL की संपत्तियों का उपयोग कथित रूप से अवैध लेनदेन के माध्यम से ₹85 करोड़ के ‘बोगस डोनेशन’, ‘एडवांस रेंट’ और ‘बोगस विज्ञापन’ के रूप में किया गया। इसमें कोलकाता की एक कंपनी ‘डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड’ से मिले ₹1 करोड़ के कर्ज का भी उल्लेख है, जिसे कभी वापस नहीं किया गया और YIL के AJL अधिग्रहण में उपयोग किया गया।
यद्यपि YIL को एक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में पंजीकृत किया गया था, लेकिन जांच में सामने आया कि वर्षों तक कोई भी चैरिटेबल या सामाजिक कार्य नहीं किया गया।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
इन आरोपों के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर राजनीतिक बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सभी कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं से 16 अप्रैल 2025 को देश भर में ईडी कार्यालयों और जिला स्तर के केंद्रीय कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया।
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने इसे “झूठा और राजनीति से प्रेरित मामला” बताया और कहा कि 2014 से ही एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। कांग्रेस का कहना है कि YIL एक गैर-लाभकारी संस्था है, इसलिए इस लेन-देन से किसी व्यक्ति को निजी लाभ नहीं हुआ। ₹90 करोड़ का कर्ज केवल AJL की देनदारियों को चुकाने के लिए दिया गया था और नेशनल हेराल्ड को पुनर्जीवित करने का उद्देश्य था।
आगे क्या होगा?
अब यह मामला दिल्ली की अदालत में जाएगा, जहां आरोपियों को समन जारी किया जा सकता है। कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि वह चुप नहीं बैठेगी और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आंदोलन करती रहेगी।
वहीं, ED के आरोप एक गंभीर तस्वीर पेश करते हैं — एक कथित गैर-लाभकारी कंपनी, जो गांधी परिवार के नियंत्रण में थी, ने जनता के लिए बनी संपत्तियों को निजी नियंत्रण में लेने का प्रयास किया।