मणिपुर एक बार फिर से हिंसा की चपेट में आ गया है। इस बार मामला दो गांवों के बीच ज़मीन के अधिकार को लेकर बढ़ा, जो देखते ही देखते उग्र झड़प में तब्दील हो गया। इस झड़प में 25 लोग घायल हो गए हैं, जिनमें 12 सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। उग्र भीड़ ने सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) के एक बंगले में आग लगा दी, जिससे हालात और तनावपूर्ण हो गए।
कैसे भड़की हिंसा?
यह घटना उस वक्त हुई जब दो गांवों के लोग भूमि के स्वामित्व को लेकर आमने-सामने आ गए। दोनों पक्षों में पहले बहस हुई, फिर देखते ही देखते स्थिति हिंसक हो गई। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, एक गांव के लोगों ने दावा किया कि जिस जमीन पर दूसरा गांव खेती कर रहा है, वह उनकी पारंपरिक संपत्ति है। विवाद इतना बढ़ गया कि हथियारों और पेट्रोल बम का इस्तेमाल शुरू हो गया।

PWD बंगले को बनाया गया निशाना
उग्र भीड़ ने सरकारी संपत्ति को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने सार्वजनिक निर्माण विभाग के बंगले में आग लगा दी। यह बंगला उस इलाके में प्रशासनिक गतिविधियों के लिए प्रयोग में लाया जाता था। आगजनी की यह घटना राज्य प्रशासन के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है।
सुरक्षाबलों पर भी हमला
स्थिति को काबू में करने के लिए सुरक्षाबलों की तैनाती की गई, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों पर भी हमला कर दिया। जवाबी कार्रवाई में आंसू गैस के गोले छोड़े गए और हल्का बल प्रयोग भी किया गया। इसमें 12 सुरक्षाकर्मी घायल हो गए, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
इलाके में तनाव, इंटरनेट सेवाएं बंद
घटना के बाद से क्षेत्र में जबरदस्त तनाव का माहौल है। एहतियात के तौर पर प्रशासन ने इलाके में धारा 144 लागू कर दी है। साथ ही अफवाहों पर रोक लगाने के लिए इंटरनेट सेवाओं को भी अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
जांच के आदेश
सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और जो लोग सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
मणिपुर में भूमि विवादों से उपजी हिंसा कोई नई बात नहीं है, लेकिन लगातार ऐसी घटनाएं राज्य में कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही हैं। ज़रूरत है कि सरकार पारंपरिक और कानूनी अधिकारों को स्पष्ट रूप से चिन्हित करे, जिससे कि ऐसे टकरावों से बचा जा सके।