भारत की सैन्य शक्ति का नया प्रतीक बने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने न सिर्फ सुरक्षा मोर्चे पर बल्कि कॉर्पोरेट और कानूनी दुनिया में भी हलचल मचा दी है। खबर है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी दिग्गज कंपनियां इस नाम को अपने व्यापारिक हितों से जोड़ने के लिए ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन का आवेदन कर चुकी हैं।
हाल ही में भारतीय सेना ने पहलगाम आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में ऑपरेशन सिंदूर के तहत नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। इस सैन्य कार्रवाई ने न सिर्फ देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा किया बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी भारत की मजबूत छवि पेश की।
अब, इस सैन्य अभियान का असर व्यापारिक दुनिया में भी दिखने लगा है। खबरों के मुताबिक, देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज समेत कई कॉर्पोरेट हाउस ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम के लिए ट्रेडमार्क आवेदन दायर किए हैं। इन कंपनियों का उद्देश्य इस नाम को अपनी मार्केटिंग रणनीतियों, प्रोडक्ट्स या सेवाओं में शामिल करना बताया जा रहा है।
क्यों खास है ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ट्रेडमार्क?
किसी सैन्य ऑपरेशन का नाम ट्रेडमार्क कराने का विचार पहली बार सामने आया है। ट्रेडमार्क विशेषज्ञों के अनुसार, जब कोई नाम या शब्द बाजार में लोकप्रियता हासिल करता है, तो कंपनियां उस नाम से जुड़ी ब्रांड वैल्यू का व्यावसायिक लाभ उठाना चाहती हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अब राष्ट्रीय गौरव, बहादुरी और निर्णायक नेतृत्व का प्रतीक बन चुका है — यही कारण है कि इस नाम को ब्रांडिंग के लिए उपयुक्त माना जा रहा है।
क्या हैं कानूनी सवाल?
हालांकि, इस कदम को लेकर कानूनी और नैतिक सवाल भी उठ रहे हैं। क्या किसी सैन्य अभियान, जो सरकारी और राष्ट्रीय महत्व का होता है, उसके नाम को कॉर्पोरेट इस्तेमाल के लिए सुरक्षित किया जा सकता है? ट्रेडमार्क विशेषज्ञों का मानना है कि अगर नाम का प्रयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जाना है, तो कानूनी प्रक्रिया के तहत उसकी अनुमति ली जानी चाहिए।
कई रक्षाविदों और राजनीतिक विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जताई है कि राष्ट्रीय गौरव से जुड़े नामों का व्यावसायीकरण उचित नहीं है। उनका कहना है कि इस तरह के नामों को जनता और सेना की भावनाओं से जोड़कर देखा जाता है, और उन्हें कॉर्पोरेट लाभ के लिए इस्तेमाल करना संवेदनशील हो सकता है।
क्या होगा आगे?
फिलहाल, इन ट्रेडमार्क आवेदनों पर कानूनी प्रक्रिया जारी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत की ट्रेडमार्क अथॉरिटी इस मामले में क्या रुख अपनाती है। अगर अनुमति मिलती है, तो जल्द ही बाजार में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम से जुड़े प्रोडक्ट्स, कैंपेन या सेवाएं देखने को मिल सकती हैं।
यह घटनाक्रम भारतीय कॉर्पोरेट जगत के लिए एक नई मिसाल पेश करता है — जहां सेना की जीत और राष्ट्रीय अभियान सिर्फ रक्षा या विदेश नीति तक सीमित नहीं रहते, बल्कि ब्रांडिंग और मार्केटिंग का हिस्सा भी बन सकते हैं।