भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना 13 मई 2025 को न्यायपालिका से सेवानिवृत्त हो गए। अपने लंबे न्यायिक करियर के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में ऐतिहासिक फैसले दिए, जिनकी गूंज न केवल कानूनी जगत में बल्कि सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी सुनाई दी।
न्यायिक करियर की शुरुआत
जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट से अपने न्यायिक करियर की शुरुआत की और बाद में सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्त हुए। वे देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश बने और उनके कार्यकाल में कई ऐसे मुकदमे आए जिन्होंने देश की न्यायिक प्रणाली को नई दिशा दी।
प्रमुख ऐतिहासिक फैसले
- वक्फ कानून पर फैसला
जस्टिस खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग और अनियमितता को रोकने के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए। इस फैसले को पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक अहम कदम माना गया। - न्यायिक पारदर्शिता और जवाबदेही
उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि न्यायिक प्रक्रिया आम लोगों की पहुंच में रहे। उन्होंने कोर्ट की कार्यवाहियों को अधिक पारदर्शी बनाने पर ज़ोर दिया। - महिला अधिकारों की रक्षा
उनके कार्यकाल में महिलाओं के अधिकारों को लेकर कई अहम फैसले आए, जिनमें पारिवारिक संपत्ति में महिलाओं की हिस्सेदारी से जुड़े मामले खास रहे। - टेक्नोलॉजी और न्यायपालिका का मेल
उन्होंने डिजिटल कोर्ट की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया और महामारी के समय वर्चुअल सुनवाई की प्रभावशीलता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई।
कानूनी समुदाय में छवि
जस्टिस खन्ना को एक सौम्य, विवेकशील और संतुलित न्यायाधीश के रूप में देखा जाता रहा है। उनके फैसलों में न्याय के साथ संवेदनशीलता की झलक भी देखने को मिलती थी। वकीलों और जजों के बीच वे हमेशा एक मार्गदर्शक के रूप में माने जाते रहे हैं।
सेवानिवृत्ति के बाद की उम्मीदें
उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी उम्मीद की जा रही है कि वे कानून के क्षेत्र में अपना योगदान किसी न किसी रूप में जारी रखेंगे। उन्हें न्यायिक सुधारों पर मार्गदर्शन देने, कानूनी शिक्षा में योगदान देने और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा में अहम भूमिका निभाने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है।