भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 143(1) के तहत सुप्रीम कोर्ट से सलाह मांगी है, जिसमें उन्होंने राज्यपाल और राष्ट्रपति की विधायी शक्तियों से जुड़े 14 महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए हैं। यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए विधेयकों पर निर्णय लेने की समय-सीमा निर्धारित करने के हालिया फैसले के बाद उठाया गया है।
पृष्ठभूमि
अप्रैल 2025 में, सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल के बीच विधेयकों को लेकर उत्पन्न विवाद में हस्तक्षेप करते हुए निर्णय दिया था कि राज्यपाल और राष्ट्रपति को विधेयकों पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेना चाहिए। इस निर्णय ने राष्ट्रपति और राज्यपाल की संवैधानिक शक्तियों की सीमाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राष्ट्रपति द्वारा उठाए गए प्रमुख प्रश्न
- क्या राज्यपाल, जब उनके समक्ष कोई विधेयक प्रस्तुत किया जाता है, तो मंत्रिपरिषद की सलाह से बंधे होते हैं?
- क्या राज्यपाल द्वारा अनुच्छेद 200 के तहत की गई संवैधानिक विवेकाधीनता न्यायिक समीक्षा के अधीन है?
- क्या अनुच्छेद 361 राज्यपाल के कार्यों पर न्यायिक समीक्षा के लिए पूर्ण प्रतिबंध लगाता है?
- क्या, संविधान में निर्धारित समय-सीमा के अभाव में, न्यायालय राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए समय-सीमा निर्धारित कर सकते हैं?
- क्या राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 201 के तहत की गई विवेकाधीनता न्यायिक समीक्षा के अधीन है?
- क्या राष्ट्रपति को, जब राज्यपाल कोई विधेयक उनके विचारार्थ प्रस्तुत करते हैं, तो सुप्रीम कोर्ट से सलाह लेनी चाहिए?
- क्या राज्यपाल और राष्ट्रपति के निर्णय, कानून बनने से पहले, न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं?
- क्या अनुच्छेद 142 के तहत न्यायालय राष्ट्रपति या राज्यपाल के संवैधानिक आदेशों को प्रतिस्थापित कर सकते हैं?
संविधानिक प्रावधानों का संदर्भ
राष्ट्रपति ने अपने प्रश्नों में अनुच्छेद 200, 201, 361, 142 और 143 का उल्लेख किया है, जो राज्यपाल और राष्ट्रपति की विधायी प्रक्रियाओं में भूमिका को परिभाषित करते हैं। विशेष रूप से, अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट से सलाह लेने का अधिकार देता है।
राष्ट्रपति मुर्मू का यह कदम भारत के संघीय ढांचे और संवैधानिक संतुलन को स्पष्ट करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। सुप्रीम कोर्ट की सलाह से यह स्पष्ट हो सकेगा कि राज्यपाल और राष्ट्रपति की विधायी प्रक्रियाओं में क्या सीमाएं और उत्तरदायित्व हैं।