भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की भूमिका को वैश्विक मंच पर उजागर करने के लिए एक मजबूत कूटनीतिक कदम उठाया है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर और बीजेपी नेता बैजयंत जय पांडा के नेतृत्व में दो अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल अमेरिका और सऊदी अरब की यात्रा पर रवाना हो चुके हैं। इनका मकसद है — पाकिस्तान की धरती से संचालित हो रहे आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जागरूक करना।
भारत ने वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाने की रणनीति अपनाई है। इसी क्रम में दो अलग-अलग उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडलों को अमेरिका और सऊदी अरब रवाना किया गया है।
🔹 शशि थरूर का प्रतिनिधिमंडल – अमेरिका यात्रा:
कांग्रेस सांसद और पूर्व विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल अमेरिका गया है। यह टीम अमेरिकी सांसदों, थिंक टैंक्स और रणनीतिक समुदाय के प्रमुख सदस्यों से मुलाकात कर रही है। उनका लक्ष्य है पाकिस्तान की तरफ से आतंकियों को समर्थन देने के सबूतों को सामने रखना और यह समझाना कि कैसे यह वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बन चुका है।
🔹 बैजयंत पांडा की अगुवाई में टीम – सऊदी अरब यात्रा:
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी नेता बैजयंत जय पांडा की टीम सऊदी अरब के दौरे पर गई है। यह टीम वहां के नेताओं और नीति निर्माताओं से मुलाकात कर भारत की चिंताओं को साझा कर रही है। साथ ही पाकिस्तान के दोहरे रवैये पर रोशनी डाल रही है — जहां एक तरफ वह आतंकवाद के खिलाफ होने की बात करता है, वहीं दूसरी ओर आतंकियों को पनाह भी देता है।
भारत की रणनीति का उद्देश्य:
भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर आतंकवाद को पनाह देने का आरोप लगाता आया है, लेकिन इस बार सरकार ने एक बहुपक्षीय रणनीति अपनाते हुए विभिन्न विचारधाराओं और राजनीतिक दलों के नेताओं को शामिल किया है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत एकमत है।
यह कदम न केवल भारत की विदेश नीति को मजबूती देता है बल्कि वैश्विक सहयोग बढ़ाने की दिशा में भी बड़ा संदेश है। उम्मीद है कि इससे अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देशों में पाकिस्तान पर दबाव बढ़ेगा, और वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ मजबूत रुख अपनाया जाएगा।
भारत की यह पहल बताती है कि अब केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी भारत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने को तैयार है। यह दो प्रतिनिधिमंडल दुनिया को यह संदेश देने जा रहे हैं कि पाकिस्तान की दोहरी नीति अब छिपी नहीं रह सकती।