बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में आयोजित आरसीबी (RCB) की IPL जीत के जश्न के दौरान मची भगदड़ की घटना अब राजनीतिक बहस का रूप ले चुकी है। इस हादसे में कई लोग घायल हो गए थे, और हालात काफी देर तक नियंत्रण से बाहर रहे। लेकिन इस पूरे मामले में अब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के एक बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है।
क्या कहा सीएम सिद्धारमैया ने?
घटना के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा,
“ऐसी भगदड़ तो कुंभ मेले में भी होती है। इतनी बड़ी भीड़ थी, इसलिए हादसा हुआ।”
उनके इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं। कई लोगों ने इसे असंवेदनशील करार दिया। बीजेपी सहित कई विपक्षी नेताओं ने इसे जनता के घावों पर नमक छिड़कने जैसा बताया।
विपक्ष का हमला
बीजेपी नेताओं ने सीएम के बयान को लेकर तीखा हमला बोला।
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा:
“कुंभ मेला एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जिसकी तुलना एक क्रिकेट जश्न से करना न केवल अनुचित है, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था का अपमान भी है।”
कुछ नेताओं ने यह भी कहा कि यह बयान यह दर्शाता है कि सरकार ने इस कार्यक्रम को लेकर कोई पर्याप्त व्यवस्था नहीं की थी और अब बयान देकर जिम्मेदारी से बचा जा रहा है।
जनता की नाराजगी
सोशल मीडिया पर भी लोगों की प्रतिक्रिया सामने आई।
एक यूज़र ने लिखा:
“लोग अपनी जान बचाने के लिए दौड़ रहे थे और मुख्यमंत्री साहब इसे सामान्य घटना बता रहे हैं!”
वहीं एक अन्य यूज़र ने कहा:
“अगर भगदड़ कुंभ में होती है, तो क्या हर बड़े इवेंट में सुरक्षा को नज़रअंदाज़ कर दिया जाए?”
आयोजन पर सवाल
चिन्नास्वामी स्टेडियम की क्षमता 40,000 के करीब है, लेकिन अनुमान है कि उस दिन मैदान में करीब 80,000 लोग एकत्रित हो गए थे। प्रशंसकों में आरसीबी की पहली IPL ट्रॉफी को लेकर इतना उत्साह था कि मैदान में अंदर आने वालों को नियंत्रित करना पुलिस और आयोजकों के बस से बाहर हो गया। इसके चलते काफी अफरातफरी मची और भगदड़ के हालात बन गए।
सरकार की सफाई
बवाल के बाद राज्य सरकार ने कहा कि यह आयोजन बेहद लोकप्रिय था और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोशिशें की गई थीं। हालांकि उन्होंने माना कि कुछ कमियां रह गई थीं और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए व्यवस्थाओं को और मज़बूत किया जाएगा।
आरसीबी के जश्न के मौके पर जो एक खुशी का माहौल होना चाहिए था, वह अफरातफरी और विवाद में बदल गया। सीएम सिद्धारमैया का बयान इस विवाद को और हवा दे गया। जहां एक ओर सरकार पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह सवाल उठ रहा है कि क्या इतने बड़े आयोजन के लिए पर्याप्त तैयारी की गई थी?