हाल ही में अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के प्रमुख जनरल माइकल कुरिला ने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ “उत्कृष्ट साझेदार” कहा है। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक समीकरणों में बदलाव देखा जा रहा है। इस टिप्पणी ने भारत में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है और कई सवालों को जन्म दिया है – क्या अमेरिका अपनी रणनीतिक प्राथमिकताओं में बदलाव कर रहा है? और क्या यह भारत के लिए एक कूटनीतिक झटका है?
पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी भूमिका
जनरल कुरिला के अनुसार, पाकिस्तान इस समय आतंकवाद के खिलाफ सक्रिय लड़ाई लड़ रहा है और अमेरिका के साथ उसका सहयोग सराहनीय रहा है। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों की मदद से अमेरिका को कई अहम आतंकवादियों तक पहुंच मिली है। इन अभियानों में पाकिस्तान ने ISIS‑K जैसे संगठनों के खिलाफ महत्वपूर्ण कार्रवाई की है।
अमेरिकी जनरल ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि पाकिस्तान ने कुछ आतंकवादियों को गिरफ्तार कर अमेरिका को प्रत्यर्पित किया है, जिनमें 2021 में काबुल हवाई अड्डे पर हुए आत्मघाती हमले के एक मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी भी शामिल है।
पाकिस्तान में बढ़ते आतंकी हमले
जनरल कुरिला के मुताबिक, पाकिस्तान स्वयं भी आतंकवाद का गंभीर शिकार है। केवल 2024 में ही पाकिस्तान में 1,000 से अधिक आतंकी घटनाएं हुई हैं, जिनमें सैकड़ों सुरक्षाकर्मी और नागरिक मारे गए हैं। इस स्थिति ने पाकिस्तान को आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई के लिए मजबूर किया है।
भारत की प्रतिक्रिया और आंतरिक राजनीति
भारत में इस बयान पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। विपक्ष ने इसे भारत की विदेश नीति की असफलता बताया है और केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की है। कांग्रेस और अन्य दलों ने यह मुद्दा संसद और मीडिया दोनों में उठाया है कि अमेरिका, जो अब तक पाकिस्तान के दोहरे चरित्र पर सवाल उठाता रहा है, अचानक उसकी तारीफ क्यों कर रहा है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत ने अमेरिका के सामने अपनी चिंता व्यक्त की है और आतंकवाद के खिलाफ असली लड़ाई की प्राथमिकता पर जोर दिया है। भारत लगातार पाकिस्तान पर आतंकवाद को संरक्षण देने का आरोप लगाता रहा है, और इस बयान को उस पर पर्दा डालने वाला कदम माना जा रहा है।
राजनयिक संतुलन की ज़रूरत
यह बयान दर्शाता है कि अमेरिका दक्षिण एशिया में संतुलन साधने की रणनीति अपना रहा है। एक ओर वह भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत कर रहा है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान को भी आतंकवाद विरोधी अभियानों में समर्थन दे रहा है। यह भारत के लिए स्पष्ट संकेत है कि केवल वैश्विक मंचों पर समर्थन पाना काफी नहीं, बल्कि क्षेत्रीय वास्तविकताओं के अनुसार नीति बनाना भी आवश्यक है।
निष्कर्ष
अमेरिका द्वारा पाकिस्तान की सराहना एक रणनीतिक बयान है, जो दक्षिण एशिया की बदलती राजनीति और सुरक्षा चुनौतियों को दर्शाता है। भारत को इसे केवल आलोचना के रूप में नहीं, बल्कि एक चेतावनी के रूप में देखना चाहिए। यह समय है जब भारत को अपनी कूटनीतिक और खुफिया रणनीतियों को पुनः परखने की आवश्यकता है, ताकि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ मजबूत और प्रभावी दृष्टिकोण प्रस्तुत कर सके।