भारतीय नौसेना ने 18 जून 2025 को विशाखापट्टनम में INS अर्णाला को अपने बेड़े में शामिल कर लिया है। यह पहला Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft (ASW-SWC) है, जिसे भारत में ही डिजाइन और निर्मित किया गया है। INS अर्णाला का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने किया, और इसमें लगभग 80% स्वदेशी सामग्री का उपयोग हुआ है।
2. तकनीकी विशेषताएं
- यह जहाज लगभग 77 मीटर लंबा है और इसका कुल वज़न 1,490 टन से अधिक है।
- डीज़ल इंजन और वॉटर-जेट प्रणोदन प्रणाली के साथ यह 25 नॉट्स तक की गति प्राप्त कर सकता है।
- इसकी रेंज करीब 1,800 नॉटिकल मील है, यानी यह एक बार में लगभग 3,300 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है।
- यह जहाज कम गहराई वाले पानी में भी तेज़ी से संचालन करने में सक्षम है।
3. प्रमुख भूमिकाएँ
- तटीय क्षेत्रों में दुश्मन की पनडुब्बियों की निगरानी और उन्हें निष्क्रिय करना।
- समंदर में बिछाई गई खानों (माइन्स) को पहचान कर नष्ट करना।
- समुद्री दुर्घटनाओं या आपदाओं के दौरान सर्च एंड रेस्क्यू (SAR) ऑपरेशन चलाना।
- आतंकवाद रोधी एवं तटीय निगरानी अभियान में सहयोग देना।
4. सामरिक महत्त्व
INS अर्णाला भारत की तटीय रक्षा को तकनीकी और सामरिक रूप से मजबूत करता है।
- यह दुश्मन की पनडुब्बियों को सीमाओं के पास ही ट्रैक करने और निष्क्रिय करने की शक्ति देता है।
- यह स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देता है और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन की दिशा में मील का पत्थर साबित होता है।
- आने वाले समय में इस श्रेणी के 16 और जहाज नौसेना में शामिल किए जाएंगे, जिससे हमारी समुद्री रणनीति और सुदृढ़ होगी।
5. नेतृत्व और समारोह
INS अर्णाला को विशाखापट्टनम में आयोजित एक भव्य समारोह में शामिल किया गया।
इस अवसर पर चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और वाइस एडमिरल राजेश पेंधरकर मौजूद रहे।
उन्होंने इसे भारतीय नौसेना की समुद्री रणनीति में “गेम चेंजर” करार दिया।
6. भविष्य की दिशा
- वर्ष 2026 तक सभी 16 जहाजों को नौसेना बेड़े में तैनात करने का लक्ष्य है।
- इससे भारत की तटीय निगरानी, खुफिया अभियान और समुद्री प्रतिक्रिया प्रणाली में बड़ा सुधार होगा।
- यह श्रृंखला चीन और पाकिस्तान जैसी रणनीतिक चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार की जा रही है।
निष्कर्ष
INS अर्णाला सिर्फ एक जहाज नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी क्षमता, रक्षा आत्मनिर्भरता और समुद्री रणनीतिक सोच का प्रतीक है।
यह जहाज भारतीय नौसेना की उप-सतही सुरक्षा को नई ऊँचाई देता है और आने वाले वर्षों में इसका योगदान निर्णायक सिद्ध होगा।