अंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के नारायणापुरम गांव में घर लौट रही 25 वर्षीय श्रमजीवी सिरिशा को कर्ज माफी की मांग करने वाले एक स्थानीय साहूकार ने एक नीम के पेड़ से बाँध दिया। आरोप है कि उसने पति से लिए गए ₹80,000 ऋण न चुकाने पर महिला को क्रूर रूप से प्रताड़ित किया और गाली-गलौज किया। इस घटना के दौरान महिला के 2 बच्चे भी मौजूद थे ।
क्या हुआ उस दिन?
सिरिशा अपने बच्चों के विद्यालय के ट्रांसफर सर्टिफिकेट लेने बेंगलुरु से गांव लौटी थीं। उसी दौरान स्थानीय साहूकार मनिकप्पा ने उन्हें पकड़कर पेड़ से बाँधा और थप्पड़ मारकर गालियाँ दीं। पीड़ित महिला को “अपने पति को कॉल कर पैसे वापस लाने” के लिए मजबूर किया गया। यह सब महिला और उसके बच्चों की मौजूदगी में हुआ, जिसने गहरे आघात पहुंचाया ।
आरोपी कौन थे?
घटना के आरोपी साहूकार मनिकप्पा और उसके परिवार के अन्य सदस्यों ने सिरिशा को बुरी तरह पीटा। पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। यह भी सामने आया है कि आरोपी की राजनीतिक पृष्टभूमि है तथा वह स्थानीय समीकरणों में सक्रिय माना जाता है ।
प्रशासन और राजनीतिक प्रतिक्रिया
- मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने घटना की निंदा की और कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए।
- उन्होंने पुलिस अधीक्षक से बात कर पीड़ित परिवार को हर संभव सहायता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
- साथ ही ग्रामीणों में कानूनी जागरूकता बढ़ाने और सजग रहने की पहल करने को कहा गया ।
इससे उठ रहे सवाल
- गैरकानूनी कर्ज वसूली: साहूकारों द्वारा ऐसे अमानवीय तरीके अपनाना कितना अधिक आम हो चुका है?
- महिलाओं की सुरक्षा: विशेष परिस्थितियों में महिलाओं को उम्रकैद तक के आघात सहन करने पर मजबूर करना किसी विकसित समाज के लिए कितना चिन्ताजनक है?
- मामला संज्ञान में: क्या प्रशासन समय रहते ग्रामीणों की चेतना बढ़ा पा रहा है?
निष्कर्ष
सिरिशा पर यह अमानवीय हमला केवल एक महिला की प्रताड़ना की घटना नहीं, बल्कि समाज में आर्थिक दबाव, लैंगिक असमानता और कानून के प्रति भयभीत आदर्शों की झलक है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण-मुक्ति, वित्तीय कानूनों की समझ और महिलाओं के मनोबल को नई संवेदनशीलता से जोड़ा जाना अब तक प्राथमिकता में क्यों नहीं रहा।