ईरान की चेतावनी: क्या दुनिया के तेल व्यापार की नब्ज ‘होर्मुज़ जलडमरूमध्य’ बंद होने वाली है?

23 जून 2025 को ईरान की संसद ने एक चौंकाने वाला बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि अमेरिका के हालिया हवाई हमलों के जवाब में, ईरान होर्मुज़ जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद करने पर विचार कर सकता है। यह वही जलमार्ग है जहाँ से दुनिया के कुल समुद्री तेल व्यापार का लगभग 20% भाग गुजरता है


होर्मुज़ जलडमरूमध्य का क्या है महत्व?

  • यह जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी को जोड़ता है।
  • कुवैत, सऊदी अरब, बहरीन, कतर, यूएई और ईरान जैसे तेल उत्पादक देशों के लिए यह मार्ग एकमात्र समुद्री विकल्प है।
  • प्रतिदिन लगभग 2 करोड़ बैरल कच्चा तेल इस मार्ग से गुजरता है।

अगर यह मार्ग बंद हुआ, तो तेल कीमतों में अभूतपूर्व उछाल और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारी व्यवधान आ सकता है।


क्यों आया यह बयान?

  • हाल ही में अमेरिका ने सीरिया और इराक की सीमा पर ईरानी समर्थित आतंकवादी ठिकानों पर ड्रोन हमले किए।
  • इन हमलों में कथित तौर पर कई ईरानी सैन्य अधिकारियों की मौत हुई।
  • इस कार्रवाई को लेकर ईरान में गहरा आक्रोश है और इसे “अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन” बताया गया है।

ईरान की संसद के एक सदस्य ने कहा:

“यदि अमेरिका हमारी संप्रभुता का उल्लंघन करता है, तो हम भी वैश्विक ऊर्जा व्यापार की धुरी को रोकने के अधिकार रखते हैं।”


वैश्विक प्रतिक्रिया

  • अमेरिका और यूरोपीय देशों ने इस चेतावनी को गंभीरता से लिया है।
  • तेल की कीमतों में तत्काल वृद्धि देखी गई है, और एशियाई शेयर बाजारों में अस्थिरता बढ़ गई है।
  • भारत और चीन जैसे ऊर्जा आयातक देशों की चिंताएं भी सतह पर आ गई हैं।

भारत पर क्या होगा असर?

  • भारत अपनी कच्चे तेल की ज़रूरत का लगभग 80% आयात करता है, जिसमें बड़ा हिस्सा खाड़ी देशों से आता है।
  • होर्मुज़ जलडमरूमध्य बंद होने से न केवल तेल महंगा होगा, बल्कि रुपये की वैल्यू और व्यापार घाटा भी प्रभावित हो सकता है।

निष्कर्ष

ईरान की यह चेतावनी सिर्फ एक क्षेत्रीय बयान नहीं, बल्कि वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और भू-राजनीतिक स्थिरता के लिए खतरा बन सकती है। आने वाले कुछ दिन यह तय करेंगे कि ये बयान सिर्फ दवाब की रणनीति है या वास्तव में विश्व अर्थव्यवस्था को चुनौती देने वाला कदम।