पटना के प्रतिष्ठित कारोबारी और भाजपा नेता गोपाल खेमका की हत्या ने बिहार में सनसनी फैला दी है। यह घटना 4 जुलाई 2025 की है, जब वाहन से उतरते वक्त उन पर बाइक सवार हमलावरों ने गोली चलाकर उनकी जान ले ली। एफएसएल व CCTV की मदद से पुलिस मामले की जांच में जुटी है। SIT गठित कर जांच तेज कर दी गई है।
🔍 सनसनीखेज मौत और घटना की परतें
- वारदात हुई पटना के गांधी मैदान इलाके में, घर के पास ही, लगभग रात 11:30 बजे। खेमका बैंकिपोर क्लब से लौट रहे थे जहाँ से परिवार ने उन्हें अस्पताल पहुँचाया, पर उन्हें बचाया नहीं जा सका।
- घटना के बाद पुलिस को जानकारी मिली, लेकिन प्रशासन की देरी से प्रतिक्रिया मिली। परिवार के सदस्यों का कहना है कि पुलिस फ़रिश्ता करीब 2:00 AM पहुँची, जो राजकीय गौण थाने से महज 300 मीटर दूर था।
- गंभीरता से मामले की जांच के लिए बिहार DGP ने SIT गठित की है, जिसके तहत STF व CID की सहभागिता भी शामिल है। शुरुआती जांच से संकेत मिलता है कि यह एक सुनियोजित जायदाद विवाद या कारोबारी प्रतिद्वंद्विता से जुड़ा मामला हो सकता है।
👨👦 पुरानी मिलने वाली घटना — परिवार पर हमला
- यह पहला मौका नहीं है जब खेमका परिवार निशाने पर रहा है: उनके बड़े बेटे गुंजन खेमका की हत्या सात साल पहले, दिसंबर 2018 में वैशाली के हाजीपुर में इतनी ही सटीक शैली में कर दी गई थी। उस समय गुंजन कार से उतर रहे थे जब बाइक सवार सिर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। ड्राइवर भी घायल हुआ था, लेकिन आरोपियों को पकड़ना संभव नहीं हुआ था।
- गुंजन की हत्या के समय वे एक कार्टन फैक्ट्री में काम कर रहे थे और बीजेपी नेता भी थे। उस केस में रहस्यमय परिस्थितियों ने आज भी कोई निष्कर्ष नहीं निकाला था।
इस बार स्थिति लगभग समान प्रतीत होती है — वाहन के पास पहुँचते ही हमला और दोनों वक्त बदमाश बाइक में भाग गए।
💼 कारोबारी सफलता की कहानी और परिवार की पृष्ठभूमि
- गोपाल खेमका ने छोटी सी मेडिकल दुकान से अपना कारोबार शुरू किया था, जो बाद में Magadh Hospital, रियल एस्टेट, पेट्रोल पंप समेत विभिन्न सार्वजनिक संस्थानों तक विस्तारित हुआ। उन्हें पटना के व्यापारिक समुदाय में एक जाना-पहचाना नाम माना जाता था।
- उनके परिवार में दो बेटे थे— एक डॉक्टर हैं (गौरव खेमका), और एक बेटी लंदन में निवास करती है। गुंजन की हत्या के बाद ही कारोबार पर संकट आया था और अब पिता की हत्या ने परिवार को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
⚖️ राजनीतिक और कानून-व्यवस्था की प्रतिक्रिया
- यह हत्या विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हुई, जिससे राज्य में राजनीतिक सवाल उठे। विपक्षी नेताओं ने राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर आरोप लगाए और इसे ‘जंगलराज’ करार दिया।
- विपक्ष ने कहा कि यदि 2018 में पहले हत्या के बाद कड़ी कार्रवाई हुई होती, तो आज ऐसी घटना नहीं होती। पुलिस की संदेहास्पद देरी पर परिवार ने कड़ी आपत्ति जताई है।
🧭 निष्कर्ष
- यह हत्या न केवल व्यक्तिगत दुख की घटना है, बल्कि एक बिजनेस-क्राइम-राजनीति से जुड़ी गहरी घटना है।
- अब जांच की दिशा पर नजरें हैं कि क्या पिता-पुत्र की हत्याओं में कोई सामूहिक साजिश या कारोबार संबंधी भिड़ंत दिखती है।
- पुलिस की तत्परता, SIT की निष्पक्षता और राज्य सरकार की जवाबदेही पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।