26 जून 2025 को चीन के क़िंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने स्पष्ट संदेश दिया — आतंकवाद पर किसी भी तरह की “दोहरे मानदंड” की नीति भारत को स्वीकार नहीं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उस संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, जिसमें हालिया पहलगाम आतंकी हमले जैसे घटनाओं का कोई उल्लेख नहीं था, लेकिन बलूचिस्तान की गतिविधियों का ज़िक्र जरूर किया गया।
दस्तावेज में क्या था विवादित?
- SCO द्वारा प्रस्तुत संयुक्त दस्तावेज़ में 26 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को नजरअंदाज कर दिया गया।
- दूसरी ओर, बलूचिस्तान की घटनाओं को शामिल किया गया, जिसे भारत ने पाकिस्तान के समर्थन से भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर घेरने का प्रयास बताया।
- राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि भारत पाक-प्रायोजित आतंकवाद पर किसी तरह की चुप्पी को स्वीकार नहीं करेगा।
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र
रक्षा मंत्री ने “ऑपरेशन सिंदूर” का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत ने 7 मई 2025 को पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की। यह दर्शाता है कि भारत अब सिर्फ कूटनीतिक बयानबाज़ी से नहीं, बल्कि ठोस सैन्य कार्रवाई के माध्यम से भी जवाब देने को तैयार है।
दोहरे मानदंड पर भारत का सख्त रुख
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि कुछ देश आतंकवाद को कूटनीतिक हथियार की तरह उपयोग कर रहे हैं और SCO जैसे मंच को इसका समर्थन नहीं करना चाहिए।
भारत ने ज़ोर देकर कहा कि आतंकवाद पर किसी भी प्रकार की “नरमी” वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा है।
SCO में भारत-चीन मुठभेड़ का स्वरूप
गालवान झड़प के बाद यह पहला अवसर था जब भारत और चीन के रक्षा मंत्री आमने-सामने बैठे। हालांकि बैठक में औपचारिकता बरती गई, परंतु भारत ने चीन के किसी दबाव में न आते हुए अपना स्टैंड मजबूती से रखा।
निष्कर्ष
राजनाथ सिंह की यह कूटनीतिक पहल दर्शाती है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर साफ, सख्त और राष्ट्रहित में निर्णय लेने की दिशा में अग्रसर है।
भारत की “जीरो टॉलरेंस फॉर टेररिज्म” नीति सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि कार्यरूप में दिखाई दे रही है, और SCO जैसे मंचों पर भी अब यह स्पष्ट झलकने लगी है।