नई दिल्ली: मुख्यमंत्री डॉ. रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने डॉक्टर्स डे के अवसर पर राजधानी को चिकित्सा शिक्षा और सेवाओं का अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनाने की योजना पेश की। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने एक समर्पित मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना का प्रस्ताव रखते हुए राजधानी को “ग्लोबल मेडिकल हब” बनाने की दिशा में ठोस संकल्प व्यक्त किया।
डॉक्टरों के लिए संदेश और भविष्य की रणनीति
मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों को समाज के प्रति समर्पित योद्धा बताते हुए कहा कि कोविड‑19 जैसी आपदाओं में उनकी भूमिका अमूल्य रही है। उन्होंने डॉक्टरों से अपील की कि वे अब इस शहर को चिकित्सा का आदर्श बनाएं और इसे ‘कोटा’ की तरह एक मेडिकल हब में परिवर्तित करने में योगदान दें।
मेडिकल यूनिवर्सिटी का प्रस्ताव
- दिल्ली सरकार एक ऐसी मेडिकल यूनिवर्सिटी बनाना चाहती है जहां शिक्षा, शोध और चिकित्सा सेवाएं एकीकृत हों।
- मुख्यमंत्री की सोच है कि जैसे कोटा शिक्षा के लिए एक आदर्श स्थल बन चुका है, वैसे ही दिल्ली चिकित्सा का प्रमुख केंद्र बने।
स्वास्थ्य अवसंरचना में सुधार के कदम
- दिल्ली में प्रति 1000 नागरिकों पर मात्र 0.42 सरकारी अस्पताल बेड उपलब्ध हैं, जो कि अंतरराष्ट्रीय मानक (3–5 बेड प्रति 1000 नागरिक) से बहुत कम है।
- सरकार का लक्ष्य अगले 5 वर्षों में इस आंकड़े को 3 बेड प्रति 1000 नागरिक तक पहुंचाना है।
नर्सों की नियुक्ति और अस्पताल सुधार
- सरकार ने 1,500 नर्सों की नियुक्ति कर दी है, जो 15 सालों से लंबित थी।
- पुराने अस्पतालों को दोबारा चालू किया जा रहा है और जन औषधि केंद्रों को अधिक सक्रिय किया जाएगा।
- सभी अस्पतालों में डेडिकेटेड सुपरिंटेंडेंट तैनात होंगे ताकि जवाबदेही बढ़े।
- सफाई, प्रतीक्षालय और पेयजल जैसी बुनियादी सेवाओं का मानक सुधारने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
मेडिकल कॉलेजों और हॉस्टलों में सुधार
- मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज (MAMC) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में छात्रावासों की दुर्दशा पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने तत्काल नवीनीकरण के निर्देश दिए हैं।
- वर्तमान हॉस्टल क्षमता 1,200 है, जबकि ज़रूरत 3,200 छात्रों की है। इससे सुरक्षा और सुविधा दोनों पर असर पड़ा है।
निष्कर्ष
दिल्ली सरकार की यह व्यापक योजना राजधानी को स्वास्थ्य सेवा, चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान का केंद्र बनाने की दिशा में निर्णायक कदम है। मेडिकल यूनिवर्सिटी का प्रस्ताव, अस्पतालों की स्थिति में सुधार, नर्सों की नियुक्ति और छात्रावास पुनर्निर्माण—इन सभी पहलों से यह स्पष्ट है कि सरकार एक “विकसित दिल्ली” की ओर बढ़ रही है।