राजस्थान के कई जिलों—विशेषकर कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़, भीलवाड़ा एवं बांसवाड़ा—में मूसलाधार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। नदियाँ व नालियाँ उफान पर हैं, सड़क मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं और स्थानीय प्रशासन ने कई गांवों को खाली कर, आपात स्थिति घोषित की है।
कहाँ बने हालात और कौन-कौन प्रभावित?
- कोटा जिले में कई बस्तियाँ जलमग्न हो गईं—जहाँ घरों में पानी भरा, सड़कें डूब गईं और पीने के पानी की व्यवस्था ठप पड़ गई।
- झालावाड़ में एक नर्सिंग मदर समेत कई लोग SDRF की सहायता से बचाए गए, जब आंकड़े खतरे की सीमा तक पहुंचे।
SDRF की बहादुर बचाव टीम की कार्रवाई
- नाव से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया जिसमें फंसे लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया।
- SDRF की टीम ने खेतों के बीच और मंदिर परिसर में फंसे लोगों समेत कुल 14 नागरिकों को बचाया—जिसमें बच्चे और बुज़ुर्ग शामिल थे।
बाँधों का खोलना और प्रशासन की प्रतिक्रिया
- हाड़ौती क्षेत्र के छह प्रमुख बांधों—जैसे कोटा बैराज, भीमसागर, कालीसिंध—के गेट खोले गए ताकि पानी छोड़ा जा सके।
- प्रशासन ने प्रभावित जिलों में रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। अगले 3–4 दिनों तक भारी बारिश की संभावना बनी हुई है।
जनजीवन पर व्यापक असर
- घरों में सामान बह गया, लोग रात भर जागते रहे। कई स्थानों पर आटा, चावल, तेल आदि बह गए।
- सरकारी स्कूल- कॉलेज बंद कर दिए गए, कई क्षेत्रों में बिजली और पेयजल सेवाएँ बाधित हुईं।
- कई गांवों का संपर्क कट गया, हाईवे बंद होने से यातायात ठप हो गया।
खतरे के संकेत और क्षमता परीक्षण
- रात्रि सहित आठ घंटों तक बांधों का जलस्तर अनियंत्रित रूप से बढ़ना, नदी-नालों का उफान, और गाँवों में संपर्क बंद होना स्पष्ट संकेत हैं कि बुनियादी संरचना को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
- प्रशासन की समय पर प्रतिक्रिया—राहत शिविर, प्रशासनिक अलर्ट और बचाव टीमों की तैनाती—महत्वपूर्ण रही है।
निष्कर्ष और आगे के कदम
राजस्थान में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से हुई इस तबाही ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आधुनिक आपदा प्रबंधन में पूर्व चेतावनी, आपात बचाव तंत्र और सामूहिक प्रतिक्रिया क्षमता कितनी महत्वपूर्ण है।
SDRF की नाव-बचाव टीम की तत्परता ने जान-माल की रक्षा की है, लेकिन इस घटना ने यह भी दिखाया कि गाँव-शहरों की जल निकासी व्यवस्था, बुनियादी ढांचे और सतत निगरानी पर और अधिक काम करना ज़रूरी है।