बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी रणनीति को और मजबूत कर दिया है। इस बार BJP की विशेष नजर देशभर में फैले करीब 3 करोड़ प्रवासी बिहारियों पर है, जो चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
क्यों महत्वपूर्ण हैं प्रवासी बिहारी मतदाता?
- ये वे मतदाता हैं जो कामकाज या रोजगार के सिलसिले में दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और अन्य राज्यों में रहते हैं।
- दिवाली और छठ जैसे त्योहारों पर ये बड़ी संख्या में बिहार लौटते हैं।
- ऐसे में त्योहार के आसपास मतदान की तारीखें पड़ें तो इनका मतदान में हिस्सा लेना चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकता है।
BJP की रणनीति क्या है?
- स्पेशल टास्क फोर्स:
पार्टी ने एक विशेष टीम बनाई है, जिसमें बिहार से सांसद, विधायक, पार्टी पदाधिकारी और बूथ कार्यकर्ता शामिल हैं। यह टीम देशभर के लगभग 150 जिलों में प्रवासी बिहारियों से संपर्क करेगी। - 14-पॉइंट फॉर्म:
इन मतदाताओं से उनकी जानकारी लेने के लिए एक 14-सूत्रीय फॉर्म तैयार किया गया है, जिसमें नाम, मोबाइल नंबर, मूल गांव, पेशा, मतदाता क्षेत्र आदि की जानकारी ली जा रही है। - डेटा डिजिटलीकरण:
एक मोबाइल ऐप के ज़रिए इन सूचनाओं को अगस्त तक अपलोड किया जाएगा, ताकि इन्हें ट्रैक कर चुनाव से पहले उनसे संपर्क किया जा सके। - भावनात्मक अपील:
पार्टी का नारा है — “जहाँ कर्मभूमि, वहीं मातृभूमि भी।” इससे प्रवासी बिहारी मतदाताओं को भावनात्मक रूप से जोड़ा जा रहा है।
विपक्ष की चिंता और प्रतिक्रिया
- विपक्षी दलों का कहना है कि मतदाता सूची में संशोधन की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है और कई लोगों को उनके वोटिंग अधिकार से वंचित किया जा सकता है।
- उनका आरोप है कि प्रवासी वोटरों के नाम सूची से हटाने की कोशिश की जा रही है, जिससे लगभग 3 करोड़ लोगों का नाम कट सकता है।
सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग की भूमिका
- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची में संशोधन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।
- चुनाव आयोग का कहना है कि सभी प्रक्रियाएं तय मानकों के अनुसार हो रही हैं और मतदाताओं को वंचित नहीं किया जाएगा।
संगठनात्मक मजबूती की दिशा में BJP
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पार्टी ने संगठन को बूथ स्तर तक मज़बूत करने का अभियान शुरू किया है।
- BJP बिहार में अपने NDA गठबंधन के साथ मिलकर प्रवासी वोटरों को साधने की रणनीति पर काम कर रही है।
निष्कर्ष
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में BJP की यह रणनीति एक अहम मोड़ साबित हो सकती है। प्रवासी बिहारी मतदाताओं की भूमिका न सिर्फ सीटों का समीकरण बदल सकती है, बल्कि यह दिखाती है कि आज का चुनाव सिर्फ ज़मीनी नहीं, बल्कि डेटा, नेटवर्क और भावनात्मक जुड़ाव पर भी निर्भर है।