भारत-मालदीव संबंधों में नई शुरुआत: पीएम मोदी के स्वागत में बदला मिज़ाज़

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव यात्रा ने दक्षिण एशिया में कूटनीति की दिशा को नया मोड़ दे दिया है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़ू, जो अब तक भारत के प्रति कठोर रुख के लिए जाने जाते थे, ने न केवल पीएम मोदी का औपचारिक स्वागत किया, बल्कि उनके स्वागत में दिखाई गर्मजोशी ने द्विपक्षीय संबंधों के भविष्य की ओर सकारात्मक संकेत दिए हैं।


मालदीव की राजनीति में बदलाव

राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज़ू ने भारत के खिलाफ कुछ सख्त फैसले लिए थे—जैसे मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी की मांग और चीन के साथ नजदीकी बढ़ाना। इसे लेकर भारत और मालदीव के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे। लेकिन अब, मुइज़ू के सुर बदलते दिख रहे हैं।


पीएम मोदी के स्वागत के मायने

पीएम मोदी की मालदीव यात्रा कोई औपचारिक सम्मेलन नहीं थी, बल्कि इस दौरे का उद्देश्य आपसी विश्वास बहाल करना और कूटनीतिक संवाद को फिर से मजबूत करना था। राष्ट्रपति मुइज़ू द्वारा किया गया गर्मजोशी भरा स्वागत इस बात का संकेत है कि मालदीव सरकार भारत के साथ अपने रिश्ते फिर से पटरी पर लाना चाहती है।


रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी

भारत लंबे समय से मालदीव के सबसे बड़े विकास साझेदारों में रहा है। चाहे बात इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की हो या आपदा राहत की—भारत ने हमेशा सहयोग का हाथ बढ़ाया है। मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है, और भारत एक प्रमुख स्रोत देश रहा है। दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा और कनेक्टिविटी को लेकर कई परियोजनाएं चल रही हैं।


चीन का प्रभाव और भारत की कूटनीति

मुइज़ू के चीन-समर्थक रुख के बावजूद, भारत ने संयम और धैर्य के साथ काम लिया। अब जो संकेत मिल रहे हैं, उससे साफ है कि भारत की “नेबरहुड फर्स्ट” नीति और सतत कूटनीतिक प्रयासों का असर हो रहा है।


निष्कर्ष

पीएम मोदी का मालदीव दौरा केवल एक राजनीतिक यात्रा नहीं, बल्कि दो देशों के रिश्तों में भरोसे की नई डोर बुनने की कोशिश थी। राष्ट्रपति मुइज़ू का रवैया बताता है कि दोनों देश आपसी हितों और क्षेत्रीय स्थिरता को प्राथमिकता देते हुए संबंधों को एक नई दिशा देने को तैयार हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह पहल ठोस समझौतों और सहयोग में कैसे तब्दील होती है।

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