लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान इन दिनों बिहार की राजनीति के केंद्र में हैं। उनके हालिया बयान और राजनीतिक सक्रियता ने राज्य के सियासी समीकरणों में हलचल मचा दी है।
🌱 युवा शक्ति के रूप में पहचान
पार्टी के बिहार प्रभारी ने स्पष्ट किया कि बिहार को नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की सोच को आगे बढ़ाने के लिए युवा शक्ति की जरूरत है—और चिराग पासवान इस बदलाव के प्रतीक हैं।
चिराग ने फिलहाल मुख्यमंत्री बनने की संभावना को खारिज किया है और कहा है कि वे सिर्फ विकास के मुद्दों पर केंद्रित रहना चाहते हैं।
🧨 कानून व्यवस्था पर तीखे आरोप
बिहार में हाल ही में बढ़ते अपराध—हत्या, डकैती, बलात्कार और भ्रष्टाचार—पर चिराग पासवान ने राज्य सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व प्रशासन को इसकी जवाबदेही लेनी चाहिए।
⚔️ तेजस्वी यादव को खुली चुनौती
चिराग ने RJD नेता तेजस्वी यादव को चुनौती देते हुए कहा कि हिम्मत है तो अकेले चुनाव लड़ें। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष जातिवादी और सांप्रदायिक राजनीति कर रहा है, जिससे बिहार को बाहर निकालने की जरूरत है।
चिराग ने “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” अभियान का समर्थन करते हुए विकास को ही मुख्य मुद्दा बताया है।
🤝 NDA का समर्थन लेकिन स्वतंत्र पहचान
LJP (रामविलास) ने साफ किया है कि वह NDA के साथ है और आने वाले चुनावों में उसका समर्थन करेगी। लेकिन चिराग पासवान की रणनीति यह संकेत देती है कि वे गठबंधन के भीतर अपनी स्वतंत्र पहचान को बनाए रखना चाहते हैं।
उन्होंने यह भी साफ किया कि वे डिप्टी सीएम पद की इच्छा नहीं रखते और पूरी तरह से विकास के लिए समर्पित हैं।
🎯 राजनीतिक विचारधारा: “Bihar First, Bihari First”
चिराग पासवान ने 2020 में “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” विज़न डॉक्यूमेंट लॉन्च किया था, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी गई थी। उनका यह अभियान राज्य में पारंपरिक राजनीति के खिलाफ एक नए विकल्प के रूप में उभरा है।
📝 निष्कर्ष
बिहार की राजनीति में चिराग पासवान एक ऐसे नेता के रूप में उभरे हैं, जो परंपरा और वंशवाद से अलग सोच रखते हैं।
उनका NDA में होना, लेकिन नीतीश सरकार की आलोचना करना, यह दर्शाता है कि वे गठबंधन में रहकर भी “अपनी अलग राजनीतिक धारा” तैयार कर रहे हैं।
आगामी विधानसभा चुनावों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी—चाहे अकेले चुनाव लड़ें या NDA के साथ।