भारत–मालदीव रिश्तों का राधिक बदलाव: ‘इंडिया आउट’ से ‘इंडिया इन’ तक

मालदीव ने 2023 की राष्ट्रपति चुनावों में “India Out” नीति को प्रमुखता दी थी, जिसे चीन समर्थक नेतृत्व ने आगे बढ़ाया। लेकिन 2025 में प्रधानमंत्री मोदी की मालदीव यात्रा ने इस रुख में बड़ा बदलाव दर्शाया। यह यात्रा भारत और मालदीव के रिश्तों में नई ऊर्जा और रणनीतिक संतुलन का संकेत है।


🌟 भव्य स्वागत और नई साझेदारी की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मालदीव आगमन बहुत भव्य तरीके से हुआ। माले एयरपोर्ट पर ‘वंदे मातरम्’ की धुनों से उनका स्वागत किया गया।
पीएम मोदी और राष्ट्रपति मोहम्मद मुज्जू ने रक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, डिजिटल सेवा और व्यापार के क्षेत्रों में सहयोग को गहराने की प्रतिबद्धता जताई।
भारत ने $565 मिलियन की वित्तीय सहायता की घोषणा की और द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत शुरू करने का प्रस्ताव रखा।


🤝 पुरानी खटास में कूटनीतिक सुधार

2024 की शुरुआत में मालदीव के कुछ मंत्रियों द्वारा भारत और पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियाँ की गई थीं, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया था।
लेकिन भारत की ‘Neighbourhood First’ नीति और सतर्क कूटनीति ने उस तनाव को अवसर में बदल दिया। मालदीव ने धीरे-धीरे ‘India Out’ नीति से हटकर भारत के साथ सहयोग का रास्ता चुना।


🇨🇳 चीन की प्रतिक्रिया: हताशा या संतुलन?

चीन के सरकारी मुखपत्र Global Times ने भारत के प्रभाव को लेकर नकारात्मक टिप्पणियाँ कीं और कहा कि भारत छोटे देशों पर प्रभाव जमाने की कोशिश करता है।
चीन ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने कभी मालदीव को भारत से दूरी बनाने के लिए नहीं कहा। यह प्रतिक्रिया मालदीव की भारत के साथ बढ़ती निकटता से चीन की हताशा को दर्शाती है।


🌐 रणनीतिक विराम और कूटनीतिक संदेश

पीएम मोदी की यात्रा ने भारत की ‘Neighbourhood First’ और ‘SAGAR’ नीति को दोहराया। इसने यह संदेश दिया कि भारत हिंद महासागर क्षेत्र में एक स्थायी, विश्वसनीय और अग्रणी शक्ति बना हुआ है।
यह यात्रा न सिर्फ चीन को एक मजबूत कूटनीतिक संकेत है, बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र को स्थिरता और संतुलन का नया विजन भी देती है।


🕳️ चीनी निवेश से दूरी की शुरुआत

मालदीव में चीन की भारी निवेश नीति अब असंतुलन और ऋण संकट का कारण बन रही है।
ऐसे में भारत की बिना शर्त सहायता और समान साझेदारी नीति अब मालदीव को अधिक विश्वसनीय विकल्प के रूप में दिखाई दे रही है।


✅ निष्कर्ष: कूटनीतिक पुनर्स्थापन और विश्वास का निर्माण

प्रधानमंत्री मोदी की मालदीव यात्रा एक रणनीतिक सफलता है। यह यात्रा भारत और मालदीव के रिश्तों को नई ऊँचाई पर ले गई है और क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह स्पष्ट करता है कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ साझेदारी को प्राथमिकता देता है और उसे केवल सामरिक लाभ नहीं बल्कि आपसी समृद्धि की दृष्टि से देखता है।