पाकिस्तान की राजनीति एक बार फिर भारत विरोधी बयानबाजी से गरमाई हुई है। इस बार चर्चा में हैं पाकिस्तानी सीनेटर पलवाशा मोहम्मद ज़ई खान, जिन्होंने संसद में खड़े होकर अयोध्या में बनने वाली बाबरी मस्जिद को लेकर न केवल भड़काऊ बात कही बल्कि भारत के खिलाफ खुलेआम युद्ध जैसी भाषा का प्रयोग भी किया।
क्या कहा सीनेटर ने?
पलवाशा मोहम्मद ज़ई खान ने कहा:
“अयोध्या में बनने वाली नई बाबरी मस्जिद की पहली ईंट पाकिस्तानी सेना के जवान रखेंगे और उसमें पहली अज़ान पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर देंगे।”
उन्होंने दावा किया कि भारत को अब यह समझना होगा कि फिल्में और वास्तविक युद्ध में अंतर होता है। यह बयान पाकिस्तानी संसद के पटल पर दिया गया, जो यह दर्शाता है कि यह कोई निजी राय नहीं बल्कि एक संगठित राजनीतिक सोच का हिस्सा हो सकता है।
समय और संदर्भ – एक रणनीतिक उकसावा?
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत पहलगाम आतंकी हमले से जूझ रहा है, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई और पूरे देश में आक्रोश फैल गया। ऐसे में पाकिस्तान से भारत विरोधी बयानबाजी आना संयोग नहीं, बल्कि रणनीतिक उकसावे की रणनीति माना जा रहा है।
बाबरी मस्जिद का राजनीतिक दुरुपयोग
भारत में बाबरी मस्जिद एक संवेदनशील और न्यायिक रूप से सुलझा हुआ मामला है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का निष्पक्ष निर्णय पहले ही दिया जा चुका है और उसी के तहत अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण प्रगति पर है।
ऐसे में पाकिस्तान द्वारा इस मुद्दे को दोबारा हवा देना, एक तरह से भारत की आंतरिक संप्रभुता में हस्तक्षेप करना है।
खालिस्तान और पन्नू की खुली हिमायत
सीनेटर पलवाशा ने अपने भाषण में खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू का भी समर्थन किया और भारत के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए उसकी तारीफ की। यह बात कई भारतीयों को चौंका सकती है, क्योंकि यह न केवल आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला रवैया है, बल्कि भारत की अखंडता पर सीधा प्रहार भी है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर असर
भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही कूटनीतिक तनाव बना हुआ है। इस बयान के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान अपने राजनीतिक और कूटनीतिक अस्तित्व को मजबूत करने के लिए धार्मिक और साम्प्रदायिक मामलों का अंतरराष्ट्रीयकरण कर रहा है?
भारत ने पहले ही इस प्रकार की बयानबाजी को गंभीरता से लेते हुए संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की हरकतों को उजागर किया है।
पलवाशा मोहम्मद ज़ई खान का यह बयान केवल एक धार्मिक स्थल से जुड़ी बात नहीं है, बल्कि यह भारत की संप्रभुता, धार्मिक सहिष्णुता, और आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति पर सीधा हमला है। ऐसे वक्त में जब भारत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है, पाकिस्तान की संसद से आया यह बयान भारत को उकसाने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भटकाने की कोशिश लगता है।
भारत को इस वक्त न केवल कूटनीतिक मोर्चे पर सतर्क रहना होगा बल्कि ऐसे घृणास्पद बयानों का सटीक जवाब भी देना होगा।