12 जून 2025 को लखनऊ में आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपद्रवियों और दंगाइयों के खिलाफ एक सख्त अभियान की घोषणा की। उन्होंने आम जनता से अपील की कि यदि वे किसी दंगाई या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाते देखें, तो वीडियो जरूर बनाएं और वायरल करें—क्योंकि सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई और वसूली करेगी ।
मुख्यमंत्री का संदेश
- सीएम योगी ने स्पष्ट कहा कि “सामाजिक संपत्ति राष्ट्र की संपत्ति है, और किसी का नुकसान करना कानून का अपराध है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”
- उन्होंने नागरिकों का भरोसा जगाया कि अब सरकार समर्थकों को पकड़ने और नुकसान की भरपाई करने में आगे रहेगी aajtak.in।
राजनीतिक और कानून-व्यवस्था पर असर
- योगी सरकार ने इससे पहले भी उपद्रवियों से उनकी संपत्तियों की ज़ब्ती की परंपरा विकसित की है। यह घोषणा उसी नीति का विस्तार प्रतीत होती है।
- इससे स्थानीय स्तर पर सामाजिक निगरानी बढ़ेगी—साथ ही उग्र विरोध करने वालों के खिलाफ व्यापक कार्रवाई का रास्ता खुलेगा।
संभावित सकारात्मक पहलू
- सावधान सामाजिक चेतना: जब ग्रामीण व शहरी नागरिक सक्रिय हो जाएँ, तो दंगों और तोड़ी-फोड़ी की घटनाओं में कमी आ सकती है।
- त्वरित पहल: किसी घटना के तुरंत बाद वायरल की गई वीडियो से सरकार को जल्दी साक्ष्य मिलेंगे—जिससे पुलिस और कानून व्यवस्था को कार्रवाई में मदद होगी।
संभावित चुनौतियाँ
- भ्रामक वीडियो का खतरा: सोशल मीडिया में गलत वीडियो वायरल होने से बेगुनाह लोग फंसे जा सकते हैं—इससे गलत पहचान व न्यायिक विवाद हो सकते हैं।
- गोपनीयता और सुरक्षा: वीडियो बनाने वाले के पहचान या गोपनीय जानकारी पर हमला हो सकता है—जिससे सामाजिक माहौल प्रभावित हो सकता है।
निष्कर्ष
सीएम योगी आदित्यनाथ का यह बयान कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की दिशा में सक्रिय कदम है। जनता की भागीदारी उसमें एक नया आयाम जोड़ सकती है। परंतु इसके लिए जरूरी होगा कि जनता इसे ज़िम्मेदारी से अपनाए—तथा मुख्य रूप से सूचना की विश्वसनीयता, गोपनीयता संरक्षण और निर्दोषता की रक्षा सुनिश्चित हो।
आगे का परिप्रेक्ष्य
- सरकार को डिजिटल वीडियोज के सत्यापन के लिए उचित तंत्र विकसित करना होगा।
- साथ ही कमजोर वर्ग और मीडिया साक्षरता अभियानों को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि कोई समाज में फेक न्यूज़ न फैले।