कैसे 11A सीट बनी विष्वश कुमार रमेश के लिए ‘भाग्यशाली’: अहमदाबाद एयर इंडिया क्रैश का अद्भुत बयान

दुर्घटना की पृष्ठभूमि

12 जून 2025 दोपहर को अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान AI‑171 टेकऑफ के ठीक बाद मेघानीनगर स्थित बी.जे. मेडिकल कॉलेज हॉस्टल के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इसमें 242 सवारों में से 241 की मृत्यु हो गई और केवल एक व्यक्ति बचे—वह है ब्रिटिश नागरिक, भारतवंशी विष्वश कुमार रमेश । निधन की संख्या में 28 ग्राउंड मृतक भी शामिल हैं, कुल मिलाकर 269 झुके जीवन इस त्रासदी की चपेट में आए ।


विष्वश कुमार रमेश: एक चमत्कारिक बचाव

रमेश 11A सीट पर बैठे थे—एक ऐसा स्थान जिसे अक्सर ‘हालात के अनुसार सबसे नापसंद’ सीट कहा जाता है। दुर्घटना के कुछ ही सेकंड बाद उन्होंने एयरक्राफ्ट की विघटनशील गति और गर्म लपटों के बीच जीवन बचाया। उन्होंने अस्पताल के बिस्तर से बताया:

“मैंने एक तेज़ आवाज़ सुनी, पायलट ने ‘Mayday’ कहा, फिर एयरक्राफ्ट टूट गया और आग लग गई” ।
उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने भाई को ढूँढ़ते हुए इमरजेंसी एग्जिट से छलांग लगाई—पर भाई Ajay बच नहीं सके ।


11A सीट और भाग्य का खेल

11A सीट अक्सर यात्रियों द्वारा पीछे की कतारों में जाने और आगमन में देरी के कारण नापसंदीदा मानी जाती है, लेकिन रमेश ने इसे ‘भाग्यशाली सीट’ करार दिया। बहुत कम यात्री बच पाते हैं, पर विष्वश ने लगभग जनम-मौत की स्थिति में अपने को संभाला ।


त्रासदी में मानवता की झलक

रमेश द्वारा बयां की गई यह डायरेक्ट कहानी अत्यधिक प्रभावित करती है—उस क्षण में जब वह अचेत अवस्था से बाहर आए, उन्होंने अपने चारों तरफ शव देखे—”मैं डरा हुआ था; मैं भागता रहा, किसी ने मुझे एम्बुलेंस तक पहुँचाया” ।


आगे की राह

मेडिकल टीमों की रिपोर्ट में विष्वश की स्थिति स्थिर बताई जा रही है—हालांकि उन्हें छाती, चेहरे और पैरों में गंभीर चोटें आई थीं । डीएनए की मदद से मृतकों की पहचान जारी है और जांच एजेंसियाँ ब्लैक बॉक्स की डीटेल में गहन अध्ययन कर रही हैं।


निष्कर्ष

विष्वश कुमार रमेश की अद्भुत कहानी इस बात का प्रतीक बनकर सामने आती है कि कैसे एक सीट बदलकर जिंदगी बचाई जा सकती है। 11A जिसने यात्रा को मौत से आगे ले गया, वह अब असंभव चमत्कार की याद बन गई है। उनकी जीवित कहानी में उड़ान सुरक्षा, ईमरजेंसी तैयारी, और मानवीय साहस का पाठ छिपा है।