मई 2025 में भारत ने कच्चे तेल का 23.32 मिलियन मीट्रिक टन आयात किया, जो अब तक का सबसे अधिक मासिक आयात है। यह पिछले महीने की तुलना में लगभग 9.8% की वृद्धि को दर्शाता है। इसी दौरान देश में ईंधन की कुल खपत 21.32 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंच गई, जो कि पिछले 12 महीनों में सबसे ऊँचा स्तर है।
मांग में तेज़ी के पीछे कारण
भारत में मई के दौरान पेट्रोल, डीज़ल, एलपीजी और एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) जैसे ईंधनों की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।
- पेट्रोल की खपत में लगभग 9–10% की वृद्धि
- डीज़ल में लगभग 4% की वृद्धि
- हवाई ईंधन और रसोई गैस की मांग में भी लगातार उछाल
इन आँकड़ों से यह स्पष्ट है कि आर्थिक गतिविधियाँ, परिवहन और उद्योग क्षेत्र में रफ्तार बढ़ी है, जिससे ऊर्जा की खपत में स्वाभाविक वृद्धि हो रही है।
आपूर्ति स्रोतों में बदलाव
हाल ही में रूस से भारत का तेल आयात लगभग 15.7% घटकर दैनिक 1.7 लाख बैरल रह गया, जो कि आपूर्ति स्रोतों में बदलाव को दर्शाता है।
हालाँकि, जून में रूस से आयात फिर से बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। भारत की रणनीति स्पष्ट है — विविध और स्थिर आपूर्ति बनाए रखना।
वैश्विक और क्षेत्रीय प्रभाव
पश्चिम एशिया में बढ़े भू-राजनीतिक तनाव, जैसे ईरान-अमेरिका विवाद, और वैश्विक तेल कीमतों में अस्थिरता ने भारत को सतर्क कर दिया है।
सरकार द्वारा यह आश्वासन भी दिया गया है कि भारत के पास पर्याप्त रणनीतिक भंडार और विविध आपूर्ति शृंखलाएँ हैं, जिससे अस्थायी व्यवधानों का असर सीमित रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार पर प्रभाव
मई में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें वर्ष की ऊँचाई तक पहुंचीं। इससे भारत जैसे आयात-निर्भर देशों के लिए आयात लागत बढ़ी, लेकिन सरकार की दीर्घकालिक रणनीति — जैसे दीर्घकालिक अनुबंध, विविध स्रोतों से आयात और रिफाइनरी क्षमताओं का विस्तार — इस दबाव को संतुलित करने में मदद कर रहे हैं।
निष्कर्ष
भारत का मई 2025 में रिकॉर्ड स्तर का कच्चा तेल आयात देश की तेज़ी से बढ़ती ऊर्जा मांग, आर्थिक विकास और रणनीतिक आपूर्ति योजनाओं का प्रमाण है। यह रुझान दर्शाता है कि भारत अपने ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्य की ओर सचेत रूप से अग्रसर है। आने वाले समय में भी इसी संतुलन — ऊर्जा मांग, आपूर्ति विविधता और मूल्य स्थिरता — को बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता होगी।