उत्तर भारत के कई राज्यों में दुल्हन बनकर दर्जनों शादियां करने वाली गुलशना की गिरफ्तारी ने पुलिस और जनता दोनों को चौंका दिया है। शादी की रस्में निभाने के बाद पति और उसके परिवार को लूटकर फरार हो जाना गुलशना का ‘पैटर्न’ था। जानिए इस ‘डाकू दुल्हन’ की पूरी कहानी।
कौन है ‘गुलशना डाकू दुल्हन’?
गुलशना नाम की यह महिला पिछले कुछ सालों से शादी के नाम पर ठगी का एक संगठित रैकेट चला रही थी। वह अलग-अलग नामों से कई पुरुषों से शादी करती थी और फिर उनकी संपत्ति, पैसे और गहने लेकर फरार हो जाती थी। इस पूरी योजना में उसके साथियों की भी भूमिका होती थी, जो उसे ‘क्लीन एग्जिट’ दिलाते थे।
किस राज्य से हुई गिरफ्तारी?
गुलशना को हाल ही में पुलिस ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश की संयुक्त कार्रवाई में पकड़ा। यह गिरफ्तारी एक ऐसे शख्स की शिकायत के बाद हुई जिसने उससे शादी की थी और कुछ ही दिनों में उसकी पत्नी लापता हो गई थी।
कैसे करती थी लोगों को टारगेट?
गुलशना ऐसे पुरुषों को निशाना बनाती थी जो या तो दूसरी शादी करना चाहते थे, या फिर रिश्तों में जल्दी फैसला लेने वाले होते थे। वह खुद को सीधी-सादी, संस्कारी लड़की की छवि में पेश करती और परिवार को विश्वास में लेकर शादी करती।
शादी के बाद क्या होता था?
शादी के कुछ ही दिनों के भीतर वह घर से कीमती सामान, नकदी और गहनों के साथ गायब हो जाती थी। कई बार वह नशीला पदार्थ खिलाकर पूरे घर को बेहोश कर देती और फिर वारदात को अंजाम देती।
पुलिस को कैसे मिला सुराग?
एक पीड़ित द्वारा की गई रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने मोबाइल ट्रैकिंग, सोशल मीडिया स्कैनिंग और पुराने रिकॉर्ड्स के जरिए गुलशना को ट्रेस किया। पूछताछ में पता चला कि वह पहले भी कई बार गिरफ्तार हो चुकी थी लेकिन हर बार जमानत पर छूट जाती थी।
अपराध की आदत या मजबूरी?
पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई कि गुलशना का यह अपराध कोई मजबूरी नहीं थी, बल्कि उसे अपराध से एक तरह का ‘सस्पेंस और एक्साइटमेंट’ मिलता था। वह खुद को दूसरों से ज्यादा चालाक और स्मार्ट मानती थी।
सोशल इंजीनियरिंग की शिकार महिलाएं भी?
गुलशना का यह रैकेट सिर्फ पुरुषों को ही नहीं बल्कि कई बार महिला रिश्तेदारों और उनके परिवारों को भी टारगेट करता था। शादी के समय ली गई तस्वीरें और दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल भी सामने आया है।
गुलशना का केस सिर्फ एक महिला अपराधी की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस सामाजिक लापरवाही का उदाहरण है जिसमें हम बिना जांच-पड़ताल के संबंधों को स्वीकार कर लेते हैं। शादी जैसे पवित्र रिश्ते का इस तरह दुरुपयोग न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि समाज के लिए एक खतरे की घंटी भी है।