दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट ले जाएगी ‘पुरानी गाड़ियों हेतु ईंधन प्रतिबंध’ पर पुनर्विचार

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की है कि उनकी सरकार एंड‑ऑफ‑लाइफ वाहन (ELV) पर लागू ईंधन प्रतिबंध को लेकर सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दाखिल करेगी। साथ ही, वे पूरे देश की व्यवस्था के अनुसार दिल्ली में भी वाहन नियमों का समान रूप से प्रभावी होने की मांग कर रही हैं।


🔹 क्या हैं ELV नियम?

  • 2018 की सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक:
    • डीजल वाहन जो 10 साल से अधिक पुराने हैं
    • पेट्रोल वाहन जो 15 साल से अधिक पुराने हैं
      उन्हें दिल्ली में सार्वजनिक रूप से ईंधन भरवाने से रोका गया है।
  • यह निर्देश पहले से मौजूद था, लेकिन 1 जुलाई 2025 से इसे सख्ती से लागू किया गया।

🔹 विवाद क्यों?

  • उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि उम्र के आधार पर प्रतिबंध बिना प्रदूषण स्तर की जांच के न्यायसंगत नहीं है।
  • वही वाहन जो दिल्ली में प्रतिबंधित हैं, अन्य शहरों में चालू हैं — इसे असमान और भेदभावपूर्ण बताया गया।

🔹 जनता की प्रतिक्रिया

  • सोशल मीडिया पर नागरिकों ने इस प्रतिबंध का व्यापक विरोध किया।
  • दिल्ली में लगभग 79% वाहन मालिक इस नियम से प्रभावित बताए गए।
  • वाहन की तकनीकी स्थिति और PUC फिटनेस को अनदेखा करना लोगों को आर्थिक और भावनात्मक रूप से झटका दे रहा है।

🔹 सरकार की रणनीति

  • मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जाकर दिल्ली के नागरिकों के अधिकार और न्याय के लिए लड़ाई लड़ी जाएगी।
  • सरकार ने पर्यावरणीय नियामक संस्था से तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध स्थगित करने का अनुरोध भी किया है।

🔹 निष्कर्ष: संतुलन की मांग

यह मामला दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण बनाम आम लोगों की सुविधा के संतुलन को दर्शाता है।
सरकार चाहती है कि नियम एक समान हों, और दिल्ली के लोग किसी भी अन्य राज्य की तुलना में अतिरिक्त दंड के शिकार न बनें।


✅ क्या हो सकते हैं संभावित बदलाव?

पहलूदिशासंभावित प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट की समीक्षाकानूनी पुनर्विचारनियमों में संशोधन संभव
तकनीकी समाधान (जैसे रेट्रोफिटिंग)व्यावहारिक समाधानप्रदूषण नियंत्रित कर वाहन जारी रह सकते हैं
NCR में समान नियमक्षेत्रीय समरसतावाहन मालिकों को राहत

निष्कर्ष

दिल्ली की सरकार ने एक ऐसा मुद्दा उठाया है जो आम आदमी की आजीविका, पर्यावरणीय जिम्मेदारी और नीति की निष्पक्षता से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार की याचिका इस दिशा में एक ज़रूरी कदम है जिससे लाखों लोगों को राहत मिल सकती है।