डोनाल्ड ट्रंप का भारत और रूस पर हमला: “दोनों अपनी मरी हुई अर्थव्यवस्थाओं को साथ डुबो सकते हैं” बयान अमेरिका की भारत से जलन को दर्शाता है।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने तीखे बयानों को लेकर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने भारत और रूस को निशाने पर लेते हुए कहा है कि “Both can take their dead economies down together” यानी “दोनों अपनी मरी हुई अर्थव्यवस्थाओं को साथ में डुबो सकते हैं।”

यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका में चुनावी माहौल गरम हो रहा है, और ट्रंप अपनी विदेश नीति को लेकर एक बार फिर मुखर होते जा रहे हैं।


🔹 ट्रंप का बयान: क्या कहा?

डोनाल्ड ट्रंप ने एक सार्वजनिक रैली में कहा कि भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाएं बेहद कमजोर हो चुकी हैं और अमेरिका को इनके साथ अनावश्यक गठबंधन नहीं करना चाहिए। उन्होंने सीधे-सीधे कहा:

“India and Russia – they are both broke. They can take their dead economies down together. We (America) don’t need to carry their burden.”

यह बयान वैश्विक मंच पर भारत की छवि को लेकर आलोचना और बहस का विषय बन गया है।


🔹 भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति क्या है?

भारत फिलहाल दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। IMF और विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन भी भारत की विकास दर को सकारात्मक बताते हैं। FY 2024-25 में भारत की GDP ग्रोथ अनुमानतः 6.5% के आसपास रह सकती है।

ट्रंप के इस बयान को भारत के आर्थिक प्रदर्शन को नजरअंदाज करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित है।


🔹 रूस के साथ संबंधों को लेकर इशारा

ट्रंप का यह बयान भारत और रूस के बीच बढ़ते व्यापारिक और सामरिक संबंधों की ओर भी इशारा करता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने रूस से सस्ते तेल की खरीद जारी रखी, जिस पर अमेरिका पहले भी अप्रसन्नता जता चुका है।


🔹 अमेरिका की चिंता: चीन और रूस की नजदीकी

ट्रंप की आलोचना का एक बड़ा कारण अमेरिका की रणनीतिक चिंता भी है। रूस और चीन की निकटता, भारत की स्वतंत्र विदेश नीति, और ब्रिक्स जैसे मंचों पर भारत की भूमिका अमेरिका को परेशान कर सकती है।


🔹 भारत की प्रतिक्रिया

अब तक भारत सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस बयान को भारत की घरेलू राजनीति और विदेश नीति दोनों संदर्भों में सावधानी से समझना चाहिए।


🔍 निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान सिर्फ एक राजनैतिक टिप्पणी नहीं, बल्कि वैश्विक भू-राजनीति में अमेरिका की असहजता का संकेत भी है। भारत को अपने आर्थिक और कूटनीतिक विकास की गति बनाए रखते हुए ऐसे बयानों का जवाब ठोस उपलब्धियों से देना चाहिए।