लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में महाराष्ट्र की विधानसभा चुनावों में “मैच फिक्सिंग या रिगिंग” का आरोप लगाया, जिसे चुनाव आयोग (EC) ने पूर्ण रूप से असंयोजित और “बिल्कुल निराधार” करार दिया। आयोग ने सवाल किया कि अगर इन आरोपों में कोई दम है, तो फिर राहुल गांधी ने औपचारिक शिकायत या पत्र क्यों नहीं लिखा?
विवाद की शुरुआत: राहुल का आरोप
राहुल गांधी ने एक पत्रिका में लिखा कि महाराष्ट्र में चुनाव में “निर्मित वोटरों की संख्या में वृद्धि, मतदान में तेज़ी, और संदिग्ध मतदान” देखी गई। उन्होंने कहा कि यदि सच सामने नहीं लाया गया, तो यह लोकतंत्र और EC की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचा सकता है।
आयोग की तीखी प्रतिक्रिया
EC ने आरओपी एक्ट और नियमों के अनुसार अपने सभी तथ्यों को पहले ही 24 दिसंबर 2024 को कांग्रेस को भेज दिया था, जो आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। आयोग ने यह स्पष्ट किया कि चुनाव—वोटर रोल, मतदान, गिनती सभी सरकारी अधिकारियों की निगरानी में पारदर्शिता से होते हैं।
निष्कर्ष में आयोग ने कहा कि राहुल गांधी सोशल मीडिया और विदेशों में बयानबाज़ी तो करते हैं, लेकिन किसी भी औपचारिक शिकायत या बैठक की मांग अभी तक नहीं की।
आयोग के आरोप
मुद्दा | आयोग का रुख |
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आरोप की औपचारिकता | कोई लिखित शिकायत नहीं |
वीडियो/सीसीटीवी फुटेज | केवल हाई कोर्ट के निर्देश पर जारी |
वोटर रोल की पारदर्शिता | मशीन-पढ़ने योग्य और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध |
चुनाव कर्मचारी की प्रतिष्ठा | आरोप से उनका मेहनत खराब होती है |
राजनीति और सत्यापन | आरोपों की जांच विधिवत होना चाहिए न कि बयानबाज़ी से |
कांग्रेस और राहुल की प्रतिक्रिया
राहुल ने फिर से आयोग को चुनौती दी –
“यदि आप पारदर्शी हैं तो वोटर रोल, 5 pm बाद का मतदान डेटा और सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करें”।
उन्होंने सवाल उठाया कि केवल औपचारिक शिकायत ही आयोग की जवाबदेही शुरू कर सकती है।
कांग्रेस नेता जैसे प्रियंका खड़गे ने भी कहा कि EC को ‘कोर्ट-नियंत्रित हैकाथॉन’ आयोजित करना चाहिए ताकि EVM की अखंडता की जांच हो सके।
भाजपा का रुख
भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी “Entitled Child Syndrome” से पीड़ित हैं और वे देश-विदेश में भारत की छवि को धूमिल कर रहे हैं। उनकी नीति पर तीखा हमला करते हुए भाजपा ने सांसदों एवं चुनाव कर्मियों पर प्रश्न उठाए।
निष्कर्ष
- EC ने स्पष्ट किया: आरोपों की जांच लिखित शिकायत मिलने के बाद ही संभव है। सार्वजनिक बयान ही पुष्टी नहीं है।
- राहुल ने आयोग से मांगा: वोटर रोल, सीसीटीवी फुटेज, और हेकाथॉन — स्पष्ट प्रमाण चाहिए।
- राजनीतिक लड़ाई तेज: कांग्रेस आरोप और BJP आरोप का मुकाबला करते हुए पारदर्शिता के मुद्दे पर बात कर रही है।
अब सवाल यह है कि राहुल गांधी अपने आरोपों को औपचारिक रूप से आयोग के पास लेकर जाएंगे या बयानबाज़ी में उलझे रहेंगे।