9 जुलाई 2025 की सुबह गुजरात के वडोदरा जिले के पदरा-मुजपुर मार्ग पर स्थित महिसागर नदी पर बना गांभीर पुल अचानक टूट गया। इस हादसे में कई वाहन नदी में गिर गए, जिससे कम से कम चार लोगों की मौत हुई और कई अन्य घायल हो गए।
घटना का विवरण
यह हादसा सुबह करीब 7:30 बजे हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पुल का एक बड़ा हिस्सा अचानक ढह गया, जिस पर से कई वाहन गुजर रहे थे। इनमें एक ट्रक, एक टैंकर, दो वैन और एक ऑटो रिक्शा शामिल थे। कुछ वाहन आधे लटके हुए रह गए जबकि कुछ सीधे नदी में जा गिरे।
मौतें और बचाव अभियान
राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस हादसे में कम से कम चार लोगों की जान गई है और आठ से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। मृतकों में एक ट्रक ड्राइवर और दो मजदूर शामिल थे। राहत और बचाव कार्य के लिए पुलिस, दमकल विभाग और एनडीआरएफ की टीमों को तुरंत मौके पर भेजा गया।
NDRF और फायर ब्रिगेड के गोताखोरों ने अब तक चार शव बरामद किए हैं। घायलों को वडोदरा और आणंद के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। अभी भी कुछ लोगों के लापता होने की आशंका है।
ब्रिज की स्थिति और जिम्मेदारी
गांभीर पुल का निर्माण वर्ष 1985 में हुआ था और यह अब करीब 40 साल पुराना हो चुका था। पुल की मरम्मत और मेंटेनेंस को लेकर पहले से ही शिकायतें थीं, लेकिन किसी तरह की बड़ी मरम्मत पिछले कुछ वर्षों में नहीं हुई थी। हादसे के बाद स्थानीय लोगों में भारी नाराज़गी देखी गई है।
राज्य सरकार ने हादसे की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और संबंधित विभागों को दोषियों की पहचान कर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
गुजरात के मुख्यमंत्री ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी पुराने पुलों की तत्काल समीक्षा की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।
स्थानीय प्रतिक्रिया और प्रभाव
यह पुल आणंद और वडोदरा के बीच एक प्रमुख संपर्क मार्ग था। इसके ढह जाने से दोनों जिलों के बीच यातायात पूरी तरह से बाधित हो गया है। व्यापारियों, विद्यार्थियों और स्थानीय यात्रियों को काफी असुविधा हो रही है। वैकल्पिक मार्गों पर अब भारी दबाव है।
स्थानीय व्यापार संगठनों और नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि इस तरह की पुरानी संरचनाओं की नियमित जांच हो और सार्वजनिक सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।
निष्कर्ष
गुजरात का गांभीर पुल हादसा एक चेतावनी है कि देशभर में मौजूद पुरानी और जर्जर होती बुनियादी ढांचों की नियमित निगरानी अत्यावश्यक है। यह हादसा न केवल कई जानें ले गया, बल्कि राज्य के प्रशासनिक और तकनीकी ढांचे पर भी सवाल खड़े कर गया है। समय की मांग है कि ऐसे सभी पुलों का ऑडिट हो और ज़िम्मेदारों को जवाबदेह ठहराया जाए।