1 जुलाई 2025 की सुबह करसोग उपमंडल में अचानक आए कई क्लाउडबर्स्ट की वजह से फ्लैश फ्लड हमले की तरह पहुंचे। इस घटना ने स्थानीय समुदाय को चौंका दिया। भारी वर्षा की वजह से कई घर, वाहन और पुल बह गए, जिससे व्यापक क्षति हुई। अब तक एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है और दर्जनों लोग लापता हैं ।
आपदा की तीव्रता और बुनियादी ढांचे पर प्रभाव
- कुल 3 से 4 क्लाउडबर्स्ट करसोग, गोहर और धरमपुर इलाकों में दर्ज किए गए, जिससे अचानक जल स्तर बढ़ गया ।
- पांच प्रवृत्तियाँ प्रभावित हुईं: पुराना बाजार (Purana Bazar), जानी खड़, कुट्टी, रिकी गांव, साथ ही पांटो नदी से जुड़े क्षेत्रों में गंभीर प्रभाव पड़ा।
- घरों के साथ पुल, सड़कें और गाड़ियाँ बह गईं। संवाद के आधार पर, 10 घर और 12 पशुशालाएँ भी लौट गईं ।
जान-माल की क्षति और बचाव कार्य
- अधिकारी बताते हैं कि एक व्यक्ति की मौत हुई है (Purana Bazar से मिली पहचान), जबकि कम से कम 16–18 लोग अभी भी लापता हैं ।
- निम्नलिखित क्षेत्रों से कुल 34–41 लोग बचाए गए, जिनमें बच्चे, महिलाएं और परिवार शामिल हैं ।
- Pandoh Dam से नियंत्रित जल निकासी ने नीचे Beas नदी के जलस्तर को खतरनाक रूप से बढ़ा दिया, जिससे Pandoh Bazaar को खाली कराया गया
संपर्क व्यवस्था बाधित और प्रशासनिक प्रतिबंध
- Shimla–Sunni–Karsog हाईवे ब्लॉक हो गया है—इससे वाहन आश्रित रूप से फंस गए और कई स्थानों पर यात्री असमर्थित हो गए ।
- पांड़ोह से अतिरिक्त पानी छोड़ने के कारण बाढ़ का स्तर बढ़ा और प्रशासन ने लोगों को नदी किनारे से दूर रहने की चेतावनी दी ।
- गेढ़ जिला अधिकारी ने सभी स्कूल और कॉलेज बंद करने के आदेश दिए, जबकि उपयोगिताओं और शिक्षा सेवाओं को भी अस्थायी रूप से बंद रखा गया है ।
मौसम विभाग का अलर्ट और पैटर्न
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जिसमें मण्डी व शिमला प्रमुख हैं ।
- जुलाई महीने में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना जताई गई है—जिससे और मौसमी आपदाओं की आशंका है ।
निष्कर्ष
मंडी जिले में आए क्लाउडबर्स्ट ने इस मानसून की तीव्रता को स्पष्ट कर दिया है। केवल प्राकृतिक आपदा ही नहीं, बल्कि बुनियादी संरचना की कमजोरियों, पूर्व चेतावनी व्यवस्था और आपदा प्रबंधन प्रणालियों की सीमाओं को भी उजागर किया है। प्रशासन के सक्रिय कदम और SDRF/NDRF की कार्रवाई स्पष्ट संकेत देती है कि तत्काल राहत और बचाव संभव हुआ, लेकिन दीर्घकालीन सुधार—जल निकासी व्यवस्था, सड़क संरचना सुदृढ़ता और ग्रामीण चेतना—की अधिक आवश्यकता है।