बीते नौ महीने में भारत-चीन के द्विपक्षीय संबंधों में अचानक सुधार देखा जा रहा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर की ताजा चीन यात्रा और उच्चस्तरीय वार्ताएं इस बदलाव को स्पष्ट संकेत देती हैं। आइये जानते हैं कि क्या वजहें हैं इस सकारात्मक बदलाव की:
🌉 क्यों लौट रहा है नया विश्वास?
- सीमा पर तनाव का चरणबद्ध समाधान
गलवान और यांगत्से जैसी घटनाओं से उपजी शीत लहर को धीरे-धीरे कम किया गया। सीमा पर ‘डे-एस्केलेशन’ समझौते ने दोनों देशों के बीच तनाव को काफी हद तक कम किया। - उच्च-स्तरीय वार्ताएं
विदेश मंत्रियों की वार्ताएं और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुलाकातों से नए रोडमैप की रूपरेखा तैयार हुई है। - वाणिज्यिक और निवेश दबाव
भारत-चीन व्यापार संबंधों में निवेश बढ़ाने और बाधाओं को कम करने के प्रयास तेज हुए हैं। आर्थिक हितों ने दोनों देशों को नजदीक लाने में अहम भूमिका निभाई है। - रेयर अर्थ मैटेरियल और व्यापारिक रणनीति
चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट्स पर नियंत्रण ने भारत को अपनी मैन्युफैक्चरिंग और आपूर्ति शृंखला रणनीतियों को मजबूत करने पर मजबूर किया। - लोगों और सांस्कृतिक जुड़ाव
कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली, वीज़ा नियमों में रियायत और डायरेक्ट फ्लाइट्स पर पुनर्विचार, द्विपक्षीय विश्वास बहाली की दिशा में अहम कदम हैं।
🧭 विशेषज्ञों की राय
- अनिल त्रिगुणायत, राजनयिक और विदेश नीति विशेषज्ञ का मानना है कि दोनों देशों के बीच यह नया सहयोग क्षेत्रीय स्थिरता और व्यापारिक संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है।
- फैसल अहमद, चीन-वस्तु विशेषज्ञ, मानते हैं कि दोनों देशों ने ट्रैक टू डिप्लोमेसी का उपयोग करते हुए व्यापार और रणनीतिक सहयोग बनाए रखा।
💡 आगे की राह
- यह सुधार केवल सतही बदलाव नहीं है। इसे स्थायी बनाने के लिए सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और राजनयिक बातचीत की निरंतरता जरूरी होगी।
- चीन के निवेश संबंधी नियमों में पारदर्शिता और सुधार से भारत को भी नए अवसर मिल सकते हैं।
- संवेदनशील मुद्दों जैसे सीमा विवाद और मानवाधिकार पर संतुलन बनाना इस रिश्ते की स्थिरता के लिए जरूरी होगा।
✅ निष्कर्ष
भारत-चीन संबंधों में हालिया सुधार रणनीतिक गेम चेंजर साबित हो सकता है।
- सीमा तनाव में कमी,
- व्यापार और निवेश में नई ऊर्जा,
- कूटनीतिक पहल और सांस्कृतिक आदान-प्रदान,
ये सभी संकेत करते हैं कि दोनों देशों का भविष्य सहयोग और आपसी हितों पर आधारित हो सकता है। यह सुधार तभी टिकाऊ होगा जब इसे भरोसे, पारदर्शिता और नियमित संवाद से मजबूत किया जाए।