नई दिल्ली | 5 अगस्त 2025
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के रूस से तेल आयात को लेकर दी गई टैरिफ चेतावनी के जवाब में भारत ने अपनी कूटनीतिक ताकत का प्रदर्शन करते हुए एक सशक्त और तथ्यात्मक प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने छह बिंदुओं में जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि भारत अपने ऊर्जा सुरक्षा और संप्रभुता से किसी प्रकार का समझौता नहीं करेगा।
🔹 ट्रंप का आरोप
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने हालिया बयान में भारत पर रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदने और उसे ओपन मार्केट में बेचकर मुनाफा कमाने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को इसके लिए भारी टैरिफ देना पड़ेगा, और भारत की अर्थव्यवस्था को “मरी हुई” तक कहा।
🧩 भारत की 6-बिंदु प्रतिक्रिया
- अमेरिका खुद भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर चुका है, जब यूरोपीय देश अपनी आवश्यकताओं के लिए तेल ले गए थे।
- भारत की ऊर्जा खरीद बाजार आधारित और पारदर्शी है, जबकि कई पश्चिमी देश राजनीतिक कारणों से रूस से व्यापार करते हैं।
- यूरोपीय यूनियन (EU) का रूस के साथ व्यापार भारत से कई गुना ज्यादा है।
- रूस से भारत की खरीददारी पूरी तरह से आर्थिक आवश्यकताओं पर आधारित है, कोई छिपा एजेंडा नहीं है।
- अमेरिका आज भी रूस से यूरेनियम, पल्लाडियम और अन्य वस्तुएं आयात करता है।
- भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के तहत हर परिस्थिति में अपने राष्ट्रीय हित की रक्षा करेगा।
🏛️ भारत का कूटनीतिक संदेश
भारत ने ट्रंप के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पश्चिमी देशों की “दोहरे मापदंडों” की आलोचना की और स्पष्ट किया कि वह किसी दबाव में आकर अपनी नीति नहीं बदलेगा। भारत ने कहा कि पश्चिमी देश खुद रूस से व्यापार कर रहे हैं लेकिन भारत को टारगेट कर रहे हैं।
⚖️ संभावित प्रभाव
- अगर अमेरिका भारत पर टैरिफ लगाता है तो इससे निर्यात पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
- हालांकि भारत वैश्विक मंच पर यह संदेश देने में सफल रहा कि वह अपने फैसले स्वयं लेता है और राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है।