भारत ने अमेरिका से अत्याधुनिक F-35 लड़ाकू जेट विमान खरीदने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर व्यापारिक टैरिफ लगाने की धमकी के चलते दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक रिश्तों में तनाव देखने को मिल रहा है।
🔎 क्या है F-35 जेट और क्यों था यह प्रस्ताव अहम?
F-35 लाइटनिंग II अमेरिका का पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ मल्टीरोल फाइटर जेट है जिसे लॉकहीड मार्टिन ने विकसित किया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसका स्टील्थ डिजाइन, अत्याधुनिक एवियॉनिक्स और मल्टी-सेंसरी नेटवर्किंग क्षमता। इस जेट को आधुनिक युद्ध की बदलती जरूरतों के हिसाब से तैयार किया गया है।
भारत यदि इसे खरीदता तो यह भारतीय वायुसेना की ताकत में भारी इजाफा करता। लेकिन अब भारत ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है।
🇮🇳 भारत का रुख क्यों बदला?
इस फैसले के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
- स्वदेशी रक्षा निर्माण को बढ़ावा:
भारत अब आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) के तहत स्वदेशी रक्षा तकनीक और HAL जैसे संस्थानों को प्राथमिकता दे रहा है। भारत ने हाल ही में तेजस Mk2, AMCA प्रोजेक्ट और दूसरे डोमेस्टिक एयरक्राफ्ट कार्यक्रमों में तेज़ी लाई है। - अमेरिका का टैरिफ युद्ध:
डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर 25% टैरिफ लगाए जाने की धमकी और चीन के साथ भारत के समीकरणों ने इस सौदे को और जटिल बना दिया। - रणनीतिक स्वतंत्रता:
भारत नहीं चाहता कि उसकी सैन्य प्रणाली किसी एक देश पर पूरी तरह निर्भर हो। इसलिए वह रूस, फ्रांस, इज़राइल और घरेलू कंपनियों के साथ संतुलन बनाए रखना चाहता है।
🌍 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
भारत के इस फैसले को दुनिया भर के रक्षा विशेषज्ञों ने “स्वतंत्र रणनीतिक सोच” का प्रतीक माना है। अमेरिका के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि वह भारत को एशिया में चीन के खिलाफ एक अहम रणनीतिक साझेदार मानता है।
📣 पब्लिक रिएक्शन (Public Reactions with Emoji):
💬 “बिलकुल सही फैसला! स्वदेशी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना चाहिए।”
🇮🇳 “भारत अब किसी देश के दबाव में नहीं आता।”
😠 “हर बार ट्रंप का बयान भारतीय बाजार और डिप्लोमेसी पर असर डालता है।”
💥 “हमें तेजस और AMCA जैसे प्रोजेक्ट्स पर भरोसा होना चाहिए।”
🔚 निष्कर्ष
भारत का यह निर्णय केवल एक सैन्य सौदे से इनकार नहीं है, बल्कि यह देश की बदलती रणनीतिक सोच और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम है। आने वाले वर्षों में भारत की रक्षा नीति और विदेश नीति में और भी स्पष्टता और मजबूती देखने को मिल सकती है।