जून 2025 में मध्य पूर्व में एक बार फिर सबकी नजरें इज़राइल और ईरान पर टिकी हैं, जिससे वैश्विक स्तरीय तनाव चरम पर पहुंच गया है। इस बार अलग बात यह है कि तेज़ी से बढ़ता संघर्ष सिर्फ मिसाइलों तक सीमित नहीं रहा—हाँ, पड़ाव तक की बातें भी शुरू हो गई हैं।
12 दिन के युद्ध का अंत
इज़राइल ने ईरान के गुप्त परमाणु केंद्रों—नेतांज़, फोर्डो और इस्फ़हान पर लक्षित हमला किया। इसमें अमेरिकी बंकर-बस्टर बम का भी इस्तेमाल हुआ, जिससे वैश्विक स्तर पर यह संघर्ष और भी गंभीर रूप ले गया। करीब 12 दिनों तक संघर्ष जारी रहा, लेकिन एक Trump-ब्रोकर्ड सीमावर्ती समझौते ने अस्थिरता को सहेज लिया है । यह एक अस्थायी ठहराव था, लेकिन इसके नतीजे दूरगामी हैं।
ईरान की जवाबी कार्रवाई
ईरानी नेतृत्व ने तुरंत मिसाइल और ड्रोन से हमला करके अपनी शक्ति दिखाई। दावों के अनुसार उन्होंने अमेरिकी एक ठिकाने पर हमला भी किया, हालांकि इसमें कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ । फिर भी, उन्होंने “पूरे विकल्प खुले हैं” कहकर आगे की लड़ाई के संकेत दिए।
रणनीतिक एवं कूटनीतिक पहलुओं का विश्लेषण
- Trump का दांव: यह समझौता पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प की मध्य पूर्व नीति की कूटनीतिक जीत को बल देता है।
- ईरान की स्थिति: भारी नुकसान की वजह से ईरान की ताकत में कमी आई है, लेकिन उनके पास अभी भी मिसाइल, ड्रोन और क्षेत्रीय मिलिशिया जैसे हथियार हैं ।
- संयुक्त राज्य अमेरिका का कदम: अमेरिकी हस्तक्षेप इसफ्ते “ओपरेशन मिडनाइट हैमर” नाम से हुआ — तीन परमाणु स्थलों पर हमला हुआ ।
परमाणु खतरे का परिदृश्य
अन्य विशेषज्ञों का अनुमान है कि भले आज लक्ष्य पूरे तरह से नष्ट न हुए हों, लेकिन इनके प्रभाव पूर्ण नहीं समझे जा सकते। इज़राइल व अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कमजोर किया—लेकिन यह अस्थायी ही हो सकता है ।
इसी बीच, न्यूक्लियर वारहेड की बात को लेकर यूरोप और संयुक्त राष्ट्र की चिंता भी बढ़ती जा रही है । ईरान, समझौते से इनकार कर चुका है—पर परमाणु वार्ता पर विचार की संभावना बनी है, पूर्व वैश्विक दबावों का इस्तेमाल करते हुए ।
भू–आर्थिक और वैश्विक नतीजे
- होर्मुज़ जलडमरु मार्ग से तेल का व्यापार प्रभावित हो सकता है—इज़राइल-ईरान संघर्ष में इस मार्ग की भूमिका महत्वपूर्ण है ।
- तेल और गैस की कीमतों में संभावित उछाल से वैश्विक अर्थव्यवस्था, खास करके ऊर्जा निर्यातक देश, प्रभावित हो सकते हैं ।
निष्कर्ष
इस युद्ध का तात्कालिक शांतावस्थामा आ गया है लेकिन स्थायी समाधान अभी उदधार है। इज़राइल-ईरान संकट एक जटिल नेटवर्क से गुज़र रहा है—इसमें परमाणु हथियार, क्षेत्रीय राजनीति, वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और कूटनीति एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। वर्तमान समझौता एक अस्थायी राहत मात्र है—लेकिन इसका असर हमारी वैश्विक राजनीति में आने वाले महीनों तक विद्यमान रहेगा।