ईरान और इस्राइल के बीच जारी टकराव के छठे दिन हालात और गंभीर हो गए हैं। ईरान की ओर से 400 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागी जा चुकी हैं, जिनमें से कई इस्राइल के संवेदनशील क्षेत्रों तक पहुंचने में सफल रहीं। इस्राइली मिसाइल रक्षा प्रणाली, जो पहले बेहद सक्षम मानी जाती थी, अब थकावट की कगार पर है।
सिर्फ 10 दिन का स्टॉक बाकी
अमेरिकी रक्षा सूत्रों के अनुसार, इस्राइल के पास अब सिर्फ 10 से 12 दिनों तक ही चलने लायक इंटरसेप्टर मिसाइलें बची हैं, विशेष रूप से ‘एरो मिसाइल’ जैसी लंबी दूरी की इंटरसेप्टर्स। इन मिसाइलों की कीमत प्रति यूनिट ₹25 करोड़ से अधिक होती है, जिससे इनकी तेजी से खत्म होती संख्या और भी बड़ी चुनौती बन जाती है।
भारी आर्थिक बोझ
हर रात मिसाइल रक्षा करने में इस्राइल को करीब $285 मिलियन डॉलर (लगभग ₹2,400 करोड़) का खर्च आ रहा है। अगर यह टकराव कुछ हफ्ते और खिंचता है, तो इस्राइली रक्षा बजट पर गंभीर असर पड़ सकता है।
इस्राइली सुरक्षा नेटवर्क पर दबाव
इस्राइल की सुरक्षा प्रणाली कई स्तरों पर आधारित है:
- आयरन डोम: छोटे रेंज की मिसाइलों को रोकने के लिए
- डेविड्स स्लिंग: मध्यम दूरी की मिसाइलों के लिए
- एरो सिस्टम: लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए
हालांकि, इन सभी प्रणालियों की सफलता दर 90% से अधिक है, लेकिन मिसाइलों की तादाद और एकसाथ हमले की गति से सिस्टम पर अत्यधिक दबाव बना है।
अमेरिका की भूमिका
अमेरिका ने पहले ही क्षेत्र में अपने रक्षा संसाधन तैनात कर दिए हैं — जिनमें पैट्रियट और THAAD मिसाइल सिस्टम के साथ-साथ नौसैनिक युद्धपोत भी शामिल हैं। अमेरिकी सैनिकों ने कई ईरानी मिसाइलों को रास्ते में ही नष्ट कर दिया है।
इस्राइली जवाबी कार्रवाई
इस्राइल ने दावा किया है कि उसने ईरान के लगभग एक-तिहाई मिसाइल लॉन्च सिस्टम को एयरस्ट्राइक के माध्यम से नष्ट कर दिया है। इसके तहत रडार, लॉन्चिंग साइट्स और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया।
रणनीतिक परिणाम
- इस्राइल के सामने अब दो विकल्प हैं: या तो इंटरसेप्टर्स को संभालकर उपयोग करे, या अमेरिका से तात्कालिक सहायता मांगे।
- यदि ईरान के पास अभी भी गुप्त भंडार में मिसाइलें मौजूद हैं, तो यह टकराव और भी लंबा खिंच सकता है।
- कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगर टकराव जारी रहा, तो अमेरिका को प्रत्यक्ष सैन्य हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
इस्राइल की बहुप्रशंसित सुरक्षा प्रणाली ने इस अभूतपूर्व मिसाइल हमले में अब तक बेहतरीन प्रदर्शन किया है, लेकिन संसाधनों की तेज़ खपत और वित्तीय दबाव के चलते स्थिति और भी नाजुक बन गई है। आने वाले 10 से 14 दिन इस पूरे क्षेत्र के भविष्य को तय कर सकते हैं — क्या यह टकराव रुकेगा, या कोई बड़ा सैन्य मोड़ लेगा?