जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा: स्वास्थ्य, सियासी दबाव और संसद का भविष्य


🏛️ क्या हुआ?

21 जुलाई 2025 को मानसून सत्र के प्रथम ही दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें “स्वास्थ्य पर ध्यान देने” की आवश्यकता है, हालांकि उन्होंने कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी।


⚕️ स्वास्थ्य या असल में क्या छिपा है?

  • मार्च में धनखड़ को AIIMS में दिल संबधी समस्या के कारण भर्ती कराया गया था और जून में उत्तराखंड में बेहोशी भी हुई थी।
  • हालांकि इन घटनाओं से वे ठीक हुए—लेकिन अचानक त्यागपत्र से स्वास्थ्य कारणों का कथन फिर विवादास्पद हो गया।

🕵️ राजनीतिक दबाव और सत्ता-संघर्ष

  • विपक्षी गठबंधन आरोप लगा रहा है कि इस्तीफा राजनीति का परिणाम है, संसद में विरोध द्वारा उत्पात मचा कर तनाव पैदा किया गया।
  • राजस्थान के पूर्व CM अशोक गेहलोत ने भी कहा कि यह “राजनीतिक दबाव के तहत लिया गया निर्णय” था, जिसमें RSS और BJP की भूमिका थी।
  • कांग्रेस के पी. चिदंबरम का कहना है कि धनखड़ “सरकार की सीमाएं पार करके उनका विश्वास खो बैठे” थे।

🔄 संसद में प्रक्रिया और टकराव

  • एक विपक्ष समर्थित न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव को धनखड़ ने स्वीकार किया था, जिससे सरकार नाराज हुई, क्योंकि सरकार स्वयं प्रस्ताव लाना चाहती थी।
  • इसके बाद, केंद्र की रणनीतिक प्रतिक्रिया में BJP सांसदों ने विरोधी वोटर समूहों को इस प्रस्ताव को वापस लेने के लिए हस्ताक्षर करने को कहा। यह स्पष्ट संकेत था कि संसद में नियंत्रण और वर्चस्व की लड़ाई अब चरम पर थी।

🗳️ राजनीतिक कैरियर और जनता की प्रतिक्रियाएँ

  • विरोधी दलों ने धनखड़ के इस्तीफे के बाद उनकी आलोचना छोड़कर “किसानपुत्र” के रूप में सराहना शुरू कर दी, जिससे सियासी मनोवृति में बदलाव आया।
  • साथ ही, यह घटना यह दिखाती है कि JD से BJP में आने वाले नेता—जैसे धनखड़—मात्र बुलंद होते हैं, लेकिन उसी ऊंचाई से गिरने का खतरा भी होता है।

📝 निष्कर्ष

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा स्वास्थ्य का मामला हो सकता है, लेकिन इसके पीछे राजनीतिक और संस्थागत तनाव भी स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं।

  • स्वास्थ्य मुद्दे वास्तविक रूप में सामने आ सकते हैं, लेकिन
  • संसद की कार्यवाही और सत्ता के बीच टाइमिंग,
  • न्यायपालिका पर विवादास्पद कदम,
  • और भाजपा की अंतर्निहित रणनीति—इन सबने मिलकर इस निर्णय को एक हाई-ड्रामा राजनीतिक घटना बना दिया।