उत्तराखंड में हाल में हुई भारी बारिश के कारण देहरादून और मसूरी के आसपास कई इलाकों में भूस्खलन, ट्रैफिक अवरोध, पेड़ों का गिरना और मलबा सड़कों पर आने की घटनाएं सामने आई हैं। इस आपदा ने स्थानीय लोग, पर्यटक, प्रशासन और पर्यावरण को प्रभावित किया है।
🏞️ मसूरी–धनोल्टी मार्ग पर भूस्खलन
IMD की चेतावनी के बाद सोमवार रात भारी बारिश हुई, जिससे लक्ष्मण पुरी के पास भूस्खलन हुआ और मसूरी–धनोल्टी मोटर मार्ग एक घंटे से अधिक समय तक अवरुद्ध रहा। प्रशासन ने तुरंत टीम भेजकर मार्ग को बहाल करवाया।
मसूरी के सराई क्षेत्र और पंप हाउस क्षेत्र में भी मलबा गिरा, जिससे लगभग चार घरों की नींव कमजोर हो गई। प्रशासन ने इन घरों को खाली कराकर राहत कार्य शुरू किया।
🌳 पेड़ों का गिरना और सड़क अवरोध
देहरादून और मसूरी में कई बड़े पेड़ गिर गए, जिनमें एक ऐतिहासिक पेड़ भी शामिल था। इसकी चपेट में आकर एक कार और स्कूटर को नुकसान पहुंचा, हालांकि कोई बड़ी जनहानि नहीं हुई।
टपकेश्वर मंदिर परिसर में लगभग सौ साल पुराना पेड़ गिरने से मंदिर की संरचना को भी नुकसान पहुंचा, लेकिन समय रहते प्रशासन ने स्थिति संभाली।
🚧 देहरादून में सड़कें धंसना और बाढ़
लगातार बारिश के कारण कुछ इलाकों में सड़कें धंस गईं। खासतौर पर कारगी चौक और देहरादून–मसूरी राजमार्ग के कुछ हिस्से बंद करने पड़े। प्रशासन ने बैरिकेडिंग की और भारी वाहनों का आवागमन रोक दिया।
रजराना, बिंदल, टोंस और आसन नदियों के किनारे जलभराव की स्थिति बनी रही, जिससे कई मोहल्लों में पानी घरों तक पहुंच गया।
⚠️ प्रशासनिक अलर्ट और उपाय
- कई स्कूलों को अस्थाई रूप से बंद किया गया, हालांकि प्रतियोगी परीक्षाएं जारी रहीं।
- आपदा प्रबंधन विभाग ने टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ और रुद्रप्रयाग जिलों के लिए अलर्ट जारी किया है।
- ड्रेनेज व्यवस्था सुधारने और पेड़ों की नियमित जांच की सिफारिश की गई है।
- जोखिम वाले क्षेत्रों में निवासियों को सचेत किया गया है और आवश्यकतानुसार विस्थापन की तैयारी भी की गई है।
🔚 निष्कर्ष
मसूरी और देहरादून में हालिया बारिश और उसके परिणामस्वरूप हुई आपदा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पहाड़ी क्षेत्रों में सतर्कता, इंफ्रास्ट्रक्चर की समय पर मरम्मत, और बेहतर प्रशासनिक योजना की जरूरत है। प्रशासनिक सक्रियता और नागरिकों की सजगता ही ऐसी आपदाओं में नुकसान को कम कर सकती है।