ईरान-इज़राइल संघर्ष गहराया: मिसाइल हमले, एयरस्ट्राइक्स और बढ़ता वैश्विक तनाव

ईरान और इज़राइल के बीच चल रहा टकराव अब खुले युद्ध की ओर बढ़ चुका है। मिसाइल, ड्रोन और एयरस्ट्राइक के ज़रिए दोनों देश एक-दूसरे पर आक्रामक हमले कर रहे हैं। कई शहरों में तबाही हुई है, और सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है।


ईरान के हमले

ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड ने इज़राइल के प्रमुख शहरों—जैसे तेल अवीव, हाइफा और यरुशलम—पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए।

  • इन हमलों का उद्देश्य इज़राइल की मिसाइल डिफेंस प्रणाली को भ्रमित करना था।
  • हमलों में कम से कम 24 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है और सैकड़ों घायल हुए हैं।
  • कई मिसाइल अमेरिकी दूतावास के आसपास भी गिरीं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता और बढ़ गई है।

इज़राइल की जवाबी कार्रवाई

इज़राइल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” नामक एक व्यापक सैन्य अभियान चलाया।

  • 200 से अधिक लड़ाकू विमानों का उपयोग कर करीब 100 से अधिक टारगेट्स को निशाना बनाया गया।
  • इनमें ईरान की न्यूक्लियर साइट्स, मिसाइल लांचर, और रिवोल्यूशनरी गार्ड के मुख्यालय शामिल थे।
  • इज़राइल ने दावा किया कि उसने ईरान के मिसाइल सिस्टम का एक तिहाई हिस्सा नष्ट कर दिया है।

क्षति और हताहत

  • ईरान में: 400 से अधिक लोगों की मौत की खबर है और 1,200 से ज़्यादा घायल हुए हैं।
  • इज़राइल में: 24 से अधिक लोगों की जान गई और दर्जनों इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं।
  • आयरन डोम ने कई मिसाइलों को इंटरसेप्ट किया, लेकिन सभी को रोकना संभव नहीं हो सका।

वैश्विक और क्षेत्रीय प्रभाव

  • अमेरिका ने क्षेत्र में एक नौसैनिक युद्धपोत समूह तैनात कर दिया है।
  • रूस, चीन, और यूरोपीय देशों ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।
  • खाड़ी देशों में तेल की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो रही है।

भविष्य की दिशा

  • ईरान ने अपने नए “हाज क़ासिम” बैलिस्टिक मिसाइल की जानकारी दी है, जिससे आने वाले हमले और ज़्यादा घातक हो सकते हैं।
  • फिलहाल ईरान किसी भी परमाणु वार्ता पर लौटने से इनकार कर रहा है।
  • संयुक्त राष्ट्र और IAEA लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं, लेकिन कूटनीतिक हल दूर नज़र आ रहा है।

निष्कर्ष

ईरान और इज़राइल का यह टकराव अब सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि कूटनीतिक और वैश्विक संकट बन चुका है। जहां एक ओर आम नागरिकों की जान जोखिम में है, वहीं दूसरी ओर पूरी मध्य पूर्व क्षेत्र अस्थिरता के कगार पर खड़ा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जल्द हस्तक्षेप कर स्थायी समाधान की दिशा में काम करना होगा।