मुख्य बिंदु:
- राहुल गांधी ने कहा था कि मोदी ने अमेरिका के सामने ‘सरेंडर’ कर दिया था
- शशि थरूर ने राहुल के बयान का समर्थन किया, साथ ही पाकिस्तान मुद्दे पर भी रखी राय
- कहा, भारत को आत्मनिर्भरता से विदेश नीति बनानी चाहिए, न कि किसी के दबाव में
- मोदी-ट्रंप के ‘हाउडी मोदी’ मंच साझा करने को बताया गलत परंपरा
विस्तृत ब्लॉग:
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका नीति और पाकिस्तान पर रुख को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भारत को किसी तीसरे देश की जरूरत नहीं है कि वह हमारी ओर से बात करे या मध्यस्थता करे, लेकिन मोदी सरकार का व्यवहार कुछ और ही दर्शाता है।
दरअसल, विवाद तब शुरू हुआ जब राहुल गांधी ने विदेश नीति के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने अमेरिका के सामने ‘सरेंडर’ कर दिया था। इसी बयान को लेकर देश की राजनीति गर्म है। अब शशि थरूर ने राहुल के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 2019 में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में जो रवैया था, वह एक स्वाभिमानी राष्ट्र के नेता के अनुरूप नहीं था।
थरूर ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश का प्रधानमंत्री जब किसी विदेशी चुनाव में खुलेआम भागीदारी करता है और अमेरिकी चुनाव में “अब की बार, ट्रंप सरकार” जैसा नारा देता है, तो वह भारत की परंपरागत विदेश नीति का मजाक उड़ाता है।
उन्होंने आगे कहा:
“भारत एक ताकतवर और संप्रभु राष्ट्र है। हमें पाकिस्तान या अमेरिका जैसे देशों के बीच मध्यस्थता की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने जो रवैया दिखाया, वह हमारे राष्ट्रीय गौरव और विदेश नीति के इतिहास से मेल नहीं खाता।”
थरूर ने कहा कि भारत को अपनी विदेश नीति आत्मनिर्भरता, संतुलन और सम्मान के आधार पर बनानी चाहिए, न कि किसी बड़ी ताकत के सामने झुककर।
भारत-पाक बातचीत पर क्या बोले थरूर?
शशि थरूर ने पाकिस्तान के साथ बातचीत के मुद्दे पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि बात करना हमेशा एक कमजोरी का संकेत नहीं होता। डिप्लोमेसी का मतलब ही संवाद है – और जब तक दोनों देश परमाणु शक्ति हैं और सीमा पर संघर्ष की स्थिति है, तब तक बातचीत का विकल्प खुला रहना चाहिए।
शशि थरूर का बयान राहुल गांधी के विवादित “सरेंडर” बयान को वैचारिक और राजनीतिक समर्थन देता नजर आता है। साथ ही यह भी साफ करता है कि कांग्रेस मोदी सरकार की विदेश नीति को केवल दिखावे और निजी संबंधों पर आधारित मानती है। आने वाले समय में यह बहस विदेश नीति की दिशा और राजनीतिक गरिमा को लेकर और गहराने वाली है।