इस्तीफे का अचानक फैसला
21 जुलाई 2025 को मानसून सत्र के पहले ही दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें “चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा।”
- धनखड़ 11 अगस्त 2022 से भारत के 14वें उपराष्ट्रपति थे।
- वे देश के इतिहास में तीसरे ऐसे उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दिया है (इससे पहले वी.वी. गिरि और आर. वेंकटरमण)।
BAC बैठक में विवाद
इस्तीफे से ठीक पहले धनखड़ ने राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक की अध्यक्षता की थी।
- दोपहर की बैठक सामान्य रही, लेकिन शाम 4:30 बजे की बैठक में नेता सदन जे.पी. नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू अनुपस्थित थे।
- विपक्षी सांसदों का आरोप है कि धनखड़ को इस अनुपस्थिति की सूचना सीधे नहीं दी गई, जिससे वे नाराज हुए और बैठक अगले दिन के लिए स्थगित कर दी।
विपक्ष का हमला
विपक्ष ने इस इस्तीफे को सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से नहीं जोड़ा।
- कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा: “इसके पीछे स्वास्थ्य कारणों से कहीं ज्यादा गहरे राजनीतिक कारण हैं।”
- इमरान मसूद ने भी सवाल उठाए: “यह इस्तीफा कई गंभीर सवाल खड़े करता है… यह केवल स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं लगता।”
जे.पी. नड्डा का जवाब
बीजेपी अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता सदन जे.पी. नड्डा ने विपक्ष के आरोपों का खंडन किया।
- उन्होंने कहा कि उन्होंने और रिजिजू ने धनखड़ के कार्यालय को पहले ही अपनी व्यस्तता की जानकारी दे दी थी।
- नड्डा का बयान — “रिकॉर्ड में वही जाएगा जो मैं कहूंगा” — विपक्ष को शांत करने के लिए था, न कि उपराष्ट्रपति के खिलाफ।
- नड्डा ने साफ किया कि इस्तीफा धनखड़ का व्यक्तिगत निर्णय था और इसे राजनीतिक रंग देना गलत है।
असल मुद्दा क्या है?
- विपक्ष का दावा: इस्तीफे के पीछे संसद में शिष्टाचार और प्रक्रियात्मक विवाद के अलावा आगामी बिहार चुनावों से जुड़ी रणनीति हो सकती है।
- बीजेपी का पक्ष: यह केवल स्वास्थ्य संबंधी कारणों से लिया गया फैसला है।
- संसदीय दृष्टिकोण: यह घटना राज्यसभा की कार्यवाही, नियमों और चेयर की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाती है।
आगे क्या होगा?
- नए उपराष्ट्रपति का चुनाव – आने वाले हफ्तों में चुनावी प्रक्रिया शुरू होगी।
- BAC की बैठक – स्थगित बैठक फिर से बुलाई जाएगी और अब उपस्थिति पर कड़ी नजर होगी।
- राजनीतिक समीकरण – बिहार चुनाव से पहले यह मुद्दा दोनों पक्षों के लिए प्रचार का हथियार बनेगा।
- संसदीय अनुशासन – इस घटना के बाद कार्यवाही में अधिक अनुशासन लाने की कोशिश की जाएगी।
निष्कर्ष
धनखड़ का इस्तीफा सिर्फ स्वास्थ्य कारणों तक सीमित नहीं दिखता, बल्कि यह संसदीय शिष्टाचार और राजनीतिक खींचतान का भी परिणाम हो सकता है।
जे.पी. नड्डा के बयान ने बीजेपी की स्थिति साफ की है, लेकिन आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष इसे कितना बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना पाता है और नया उपराष्ट्रपति कौन होगा।