भारत में मॉनसून ने अपनी पहली दस्तक दे दी है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिण बंगाल की खाड़ी, अंडमान सागर और निकोबार द्वीप समूह में मॉनसून ने आधिकारिक रूप से 13 मई को प्रवेश कर लिया है। यह सामान्य तिथि के अनुसार एकदम समय पर है और इससे देश के अन्य हिस्सों में समय पर बारिश की उम्मीद बढ़ गई है।
क्या कहा है मौसम विभाग ने?
IMD ने बताया कि मौसमी हवाएं और अन्य पर्यावरणीय स्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं, जिससे अगले 2-3 दिनों में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के अन्य हिस्सों में भी मॉनसून फैल सकता है। इसके साथ ही, मॉनसून की सक्रियता अब धीरे-धीरे दक्षिण-पश्चिम मानसून के भारत में प्रवेश की शुरुआत मानी जा रही है।
मॉनसून का महत्व
मॉनसून भारत की कृषि और जल आपूर्ति के लिए रीढ़ की हड्डी की तरह है। देश की लगभग 60% खेती बारिश पर निर्भर करती है, इसलिए मॉनसून का समय पर और सामान्य रहना बेहद जरूरी होता है।
अगला कदम: केरल की ओर
IMD के अनुसार, 1 जून तक मॉनसून केरल के तट तक पहुंच सकता है। यदि मौसम की वर्तमान परिस्थितियां बनी रहती हैं, तो यह समय पर या कुछ पहले भी हो सकता है।
इस बार कैसा रहेगा मॉनसून?
- मौसम विभाग ने पहले ही अनुमान जताया है कि इस साल सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है।
- इससे किसानों और जल संकट से जूझ रहे राज्यों को बड़ी राहत मिल सकती है।
चेतावनी भी दी
IMD ने यह भी कहा कि अंडमान-निकोबार क्षेत्र और आसपास के समुद्री हिस्सों में अगले कुछ दिनों तक हल्की से मध्यम बारिश और तेज हवाएं चल सकती हैं। मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।
मॉनसून का समय पर पहुंचना एक सकारात्मक संकेत है, खासकर उन राज्यों के लिए जो जल संकट और गर्मी से परेशान हैं। अगर आगे भी मॉनसून समय पर और सामान्य रहता है, तो भारत को आर्थिक और पर्यावरणीय दोनों मोर्चों पर राहत मिल सकती है।