बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगामी चुनावों से पहले एक बड़े सामाजिक कल्याण निर्णय की घोषणा की है। उन्होंने वृद्धा, दिव्यांगता और विधवा पेंशन को ₹400 से बढ़ाकर ₹1,100 प्रति माह करने का ऐलान किया है। यह फैसला राज्य भर में लगभग 1.1 करोड़ लाभार्थियों को प्रत्यक्ष आर्थिक सहारा देगा और जुलाई 2025 से लागू होगा।
पेंशन वृद्धि: कितनी राहत मिलेगी?
- मौजूदा में ₹400 पाती थीं वृद्धा, दिव्यांग व विधवाएँ, जो अब तीन गुना होकर ₹1,100 मासिक हो जाएगी।
- यह राशि लाभार्थियों के बैंक खाते में हर महीने 10 तारीख को सीधे अंतरण की जाएगी।
- इस फैसले से प्रदेश के 1 करोड़ 9 लाख 69 हजार 255 लाभार्थियों को आर्थिक मदद मिलेगी।
संवैधानिक जवाबदेही vs चुनावी रणनीति
राजनीतिक पृष्ठभूमि में यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है:
- तेजस्वी यादव का दबाव
RJD नेता तेजस्वी यादव और लोकप्रिय रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) पहले ही इस राशि को हाइक करने की मांग कर चुके थे — तेजस्वी ने ₹1,500 और PK ने ₹2,000 तक देने का वादा किया था। - नीतीश का ‘मास्टरस्ट्रोक’
मुख्यमंत्री ने इसे चुनाव से पहले एक सशक्त और त्वरित जवाब माना, जिससे सरकार की इमेज मजबूत होती है और विरोधियों को भी पंचायत का जवाब मिलता है। - सरकार की सफाई
सोशल वेलफेयर मंत्री मदन सहनी ने स्पष्ट किया कि यह फैसला चुनाव अभियान से प्रेरित नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की प्रतिबद्धता पर आधारित है। वहीं उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने इसे ऐतिहासिक सुधार बताया।
अन्य कल्याण घोषणाएँ
- जीविका दीदियों के समूह ऋण में वृद्धि; अब ₹3 लाख की जगह ₹5 लाख तक ऋण मिलेगा।
- सामाजिक सुरक्षा कवरेज को विस्तृत करने की कोशिश स्पष्ट होती है।
व्यापक प्रभाव:
- आर्थिक सबलता – ग्रेसियोनिज़न आदिवासी, विकलांग और विधवाओं के लिए जीवन स्तर सुधारने की क्षमता।
- राजनीतिक गणित – 50% से अधिक आबादी लाभान्वित होने से भाजपा–जदयू गठबंधन की जनसमर्थन में वृद्धि संभव।
- विरोधियों को चूना – विरोधी वादों से पहले राज्य सरकार ने ठोस कदम उठाकर माहौल बनाया।
नीतीश सरकार का यह निर्णय वित्तीय रूप से कमजोर वर्गों को सीधा लाभ पहुँचा कर एक सकारात्मक संदेश देता है। हालांकि इसकी वोट-बहाली की रणनीति पर राजनीतिक विमर्श जारी रहेगी, लेकिन इसने अभी से ही स्थानीय जनसमर्थन को मजबूत किया है।