📅 हमले का इतिहास
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के पास बैसारन घाटी में एक भयानक आतंकी हमला हुआ था। यह हमला आधुनिक भारत के इतिहास में सबसे निर्मम आतंकी घटनाओं में से एक माना जा रहा है। आतंकवादियों ने पर्यटकों की बसों को रोककर धर्म के आधार पर उनकी पहचान की और 25 गैर-मुस्लिम पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी। इस हमले में एक स्थानीय मुस्लिम युवक, जो आतंकियों का विरोध कर रहा था, वह भी मारा गया। कुल मिलाकर 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई।
🎯 ऑपरेशन महादेव की शुरुआत
भारत सरकार और खुफिया एजेंसियों ने इस हमले को राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा हमला माना। इसके तुरंत बाद, भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी शिविरों पर ऑपरेशन सिंदूर नामक सर्जिकल स्ट्राइक की। इसके समानांतर, कश्मीर में ऑपरेशन महादेव नाम से एक विशेष अभियान चलाया गया जिसका उद्देश्य हमले के वास्तविक मास्टरमाइंड और उसके नेटवर्क का सफाया करना था।
ऑपरेशन महादेव 22 मई 2025 को औपचारिक रूप से शुरू हुआ और इसमें सेना, रॉ, एनआईए, और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने भाग लिया। इसके लिए अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया गया, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस, ड्रोन इमेजरी, मोबाइल टॉवर ट्रैकिंग और मानवीय खुफिया सूचना (HUMINT) शामिल थे।
🛰️ सुराग और निगरानी
इस ऑपरेशन में सबसे अहम भूमिका निभाई एक चीनी सैटेलाइट फोन ने, जो हमले के दौरान और बाद में बार-बार सक्रिय पाया गया। उसकी लोकेशन को बार-बार ट्रेस किया गया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि हमले में शामिल आतंकवादी अभी भी घाटी में छिपे हुए हैं। लगातार 14 दिनों तक इस सैटेलाइट फोन की निगरानी की गई, जिससे आतंकियों की गतिविधियों और संभावित ठिकानों की सटीक जानकारी मिल सकी।
एनकाउंटर का विवरण
28 जुलाई 2025 की सुबह ऑपरेशन महादेव को फाइनल एक्शन में बदला गया। सुबह 8 बजे लिडवस क्षेत्र के महादेव पीक के पास ड्रोन सर्विलांस शुरू हुआ। 9:30 बजे सेना की राष्ट्रीय राइफल्स और पैरा-कमांडो दस्तों ने जंगल में प्रवेश किया।
लगभग 11 बजे मुठभेड़ शुरू हुई। करीब एक घंटे की गोलीबारी के बाद तीनों आतंकियों को मार गिराया गया। मारे गए आतंकियों में पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड सुलेमान शाह उर्फ हाशिम मूसा भी शामिल था। वह पूर्व पाकिस्तानी स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) का सदस्य और लश्कर-ए-तैयबा का प्रशिक्षित कमांडर था।
अन्य दो आतंकियों की पहचान अबू हमजा और यासिर उर्फ जिबरान के रूप में हुई, जो क्रमशः अफगान मूल और कश्मीर के स्थानीय नेटवर्क से जुड़े थे।
सबूत और पुष्टि
घटनास्थल से मिले सबूतों में पाकिस्तानी वोटर ID कार्ड, कुछ पाकिस्तानी चॉकलेट्स और विशेष संचार उपकरण शामिल थे। इससे आतंकियों की पाकिस्तानी पहचान और विदेशी प्रशिक्षण की पुष्टि हुई।
गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बताया कि आतंकियों को घाटी में कुछ स्थानीय लोगों का सीमित समर्थन मिल रहा था, जो उन्हें रसद और छिपने की जगह उपलब्ध करा रहे थे।
पीड़ितों के परिवारों की प्रतिक्रिया
हमले में मारे गए पर्यटकों के परिवारों ने इस ऑपरेशन को एक “अधूरा न्याय” बताया है। उनके अनुसार, जब तक आतंकवाद की जड़ पूरी तरह नहीं खत्म होती और पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सज़ा नहीं मिलती, तब तक उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी। हालांकि उन्होंने भारतीय सेना और सुरक्षा बलों के साहस की जमकर प्रशंसा की और इस कार्रवाई को एक निर्णायक कदम बताया।
📌 निष्कर्ष
ऑपरेशन महादेव केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा नीति में बदलाव का प्रतीक है।
- इस ऑपरेशन ने दिखा दिया कि भारत अब आतंकी हमलों के जवाब में केवल राजनीतिक बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहेगा।
- यह सुरक्षा बलों की तकनीकी दक्षता और संकल्प का प्रमाण है।
- सबसे महत्वपूर्ण, यह संदेश है कि निर्दोषों की हत्या करने वालों को कोई भी पनाहगाह शरण नहीं दे सकती—वे कहीं भी हों, पकड़े और मारे जाएंगे।