भारत ने FATF से यह भी आग्रह किया है कि पाकिस्तान को एक बार फिर से ग्रे लिस्ट में डाला जाए। भारत का तर्क है कि पाकिस्तान फाइनेंशियल इंटेलिजेंस और पारदर्शिता में लगातार असफल रहा है। इससे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय नियमों का उल्लंघन होता है और क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा पहुंचता है।
FATF ग्रे लिस्ट में आने का मतलब है कि किसी देश की आर्थिक गतिविधियों पर अंतरराष्ट्रीय नजर रहेगी, और उसे कर्ज या निवेश हासिल करने में मुश्किल होगी।
भारत का रुख सख्त
भारत का कहना है कि अगर पाकिस्तान को बिना निगरानी के IMF जैसी संस्थाओं से फंड मिलता रहा, तो वह न केवल आर्थिक धोखाधड़ी करेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय शांति पर भी खतरा बनेगा।
भारत ने यह मामला G20 और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर भी उठाया है, जिससे पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ सकता है।
क्या है FATF ग्रे लिस्ट?
FATF ग्रे लिस्ट में उन देशों को डाला जाता है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर काबू पाने में नाकाम होते हैं। इसमें शामिल होने से आर्थिक प्रतिबंध, निवेश में गिरावट और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में दिक्कत होती है।
भारत ने एक बार फिर से पाकिस्तान की जिम्मेदारियों और उसकी पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। IMF फंड के दुरुपयोग और FATF के दिशा-निर्देशों की अनदेखी को लेकर भारत का यह रुख न केवल दक्षिण एशिया में वित्तीय अनुशासन के लिए ज़रूरी है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी सतर्कता का संकेत है।