IMF (इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड) ने हाल ही में पाकिस्तान को 1.4 बिलियन डॉलर (लगभग ₹12 हजार करोड़) का नया लोन क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन प्रोग्राम के तहत मंजूर किया है। इस कदम से पाकिस्तान को आर्थिक राहत मिल सकती है, लेकिन भारत ने इस मदद पर कड़ी आपत्ति जताई है, क्योंकि उसे आशंका है कि यह पैसा आतंकवाद को बढ़ावा देने में इस्तेमाल हो सकता है।

पूरी कहानी:
शुक्रवार, 9 मई को IMF के एग्जीक्यूटिव बोर्ड ने पाकिस्तान को बड़ा आर्थिक राहत पैकेज मंजूर किया। इसमें:
✅ 1.4 बिलियन डॉलर का नया लोन (₹12 हजार करोड़) क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन प्रोग्राम के तहत
✅ 7 बिलियन डॉलर (₹60 हजार करोड़) की मदद की पहली समीक्षा पास
✅ अगली किस्त में 1 बिलियन डॉलर (₹8,542 करोड़) जारी होने का रास्ता साफ
IMF के मुताबिक, यह सहायता पाकिस्तान के आर्थिक हालात को स्थिर करने और वैश्विक आर्थिक दबावों से निपटने में मदद करेगी।

भारत की आपत्ति और विरोध:
भारत ने IMF बोर्ड की बैठक में इस फैसले का विरोध किया और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। भारत का साफ कहना था कि:
🔴 सीमा पार आतंकवाद को लगातार फंड करना वैश्विक समुदाय को गलत संदेश देता है।
🔴 फंडिंग एजेंसियों और डोनर्स की साख खतरे में डालने जैसा है।
🔴 पाकिस्तान इन अंतरराष्ट्रीय फंड्स का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों और आतंकवाद को बढ़ावा देने में करता रहा है।
🔴 पिछले 35 साल में पाकिस्तान को 28 बार IMF से कर्ज मिला, फिर भी हालात नहीं सुधरे।
🔴 पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और राजनीति में सेना का दखल बड़ा है, जो सुधारों में बाधा डाल सकता है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा था कि IMF को खुद के भीतर झांककर यह देखना चाहिए कि आखिर पिछले कार्यक्रम क्यों सफल नहीं हुए।

पाकिस्तान का जवाब:
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा, “IMF कार्यक्रम को नुकसान पहुंचाने के भारत के प्रयास विफल हो गए हैं।”
उन्होंने इसे पाकिस्तान के लिए बड़ी सफलता बताया। IMF ने भी अपने बयान में कहा कि पाकिस्तान ने कठिन वैश्विक माहौल में अपनी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अहम कदम उठाए हैं।
क्यों उठ रहे हैं सवाल?
भारत का कहना है कि पाकिस्तान बार-बार IMF से बेलआउट लेता है, लेकिन आर्थिक सुधारों पर अमल नहीं करता। इसके बजाय, फंड का दुरुपयोग कर आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देता है, जिससे सिर्फ भारत ही नहीं, पूरी दुनिया की सुरक्षा पर खतरा पैदा होता है। IMF बार-बार पाकिस्तान को बचाता आ रहा है, लेकिन क्या ये पैसा वास्तव में सही दिशा में इस्तेमाल होगा या फिर आतंक की फंडिंग में जाएगा?
IMF की इस नई डील ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक तनाव को हवा दे दी है। भारत की चिंताओं को नजरअंदाज कर पाकिस्तान को फंड देना क्या वैश्विक संस्थाओं के लिए सही है? क्या पाकिस्तान सच में सुधार की दिशा में आगे बढ़ेगा या यह पैसा फिर से हथियारों और आतंक में लगेगा? आने वाले समय में दुनिया इस पर जरूर नजर रखेगी।