🏛️ घटनाक्रम क्या हैं?
21 जुलाई 2025 को मानसून सत्र के पहले दिन, लोकसभा में विपक्ष की मांग पर हंगामा हुआ। इस दौरान राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया जाता, जबकि सरकार के मंत्रियों को खुलकर बोलने की अनुमति मिलती है।
उन्होंने कहा:
“मैं नेता प्रतिपक्ष हूं, मेरा अधिकार है—मुझे बोलने नहीं दिया जाता।”
⚔️ भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया
भाजपा सांसदों ने राहुल गांधी पर पलटवार किया।
- रेखा शर्मा ने कहा कि राहुल “बिना बारी बोलना चाहते हैं” और अक्सर सदन में अनुपस्थित रहते हैं।
- अपराजिता सारंगी ने आरोपों को “निराधार” बताया, यह कहकर कि सरकार बहस के लिए तैयार है और विपक्ष को बोलने का मौका मिलेगा।
- गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि राहुल “उस विशेषाधिकार की कमी से परेशान हैं, जिस पर वे परिवार के सदस्य होने के नाते आदी हैं।”
🔄 संसद प्रक्रिया और विवाद
विपक्ष ने Operation Sindoor (पाहलगाम के बाद की सैन्य कार्रवाई) पर बहस की मांग की थी।
लोकसभा अध्यक्ष और सरकार ने कहा कि सवालों के बाद, नियमों के तहत समय मिलेगा — लेकिन उन घंटों को हंगामे के चलते स्थगित कर दिया गया।
🎯 निहितार्थ क्या हैं?
- यह आरोप–प्रत्यारोप उस गहरे संसदीय तनाव और प्रक्रियात्मक विवाद को दर्शाता है।
- विपक्ष का आरोप है कि उनकी आवाज़ को दबाया जा रहा है।
- भाजपा इसे राजनीतिक पब्लिसिटी बता रही है, जबकि कांग्रेस इसे लोकतांत्रिक अधिकार का उल्लंघन मान रही है।
✍️ निष्कर्ष
यह विवाद सिर्फ “बोलने का अधिकार” नहीं, बल्कि लोकतंत्र में संवाद की खुली जगह पर सवाल खड़े करता है।
क्या सत्ता पक्ष विपक्ष की आवाज़ को दबा रहा है? या यह राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है?
आने वाले दिनों में संसद की कार्यवाही तय करेगी कि विपक्ष को कितना मंच मिलता है और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा कितनी हो पाती है।