भारतीय रेलवे ने तात्कालिक टिकट व्यवस्था में हाल ही में कई सुधार किए थे, जिसमें आधार OTP और एजेंट की भूमिका को सीमित किया गया। अब उसी रणनीति के तहत जनरल टिकट सर्विस में भी नीतिगत बदलाव किए गए हैं। पहली बार ऐसे नियम लागू किए गए हैं जो यात्रियों की सुविधा और सिस्टम की पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हैं।
नई व्यवस्था क्या कहती है?
- अब जनरल क्वोटा में सिर्फ निश्चित संख्या में टिकट जारी होंगे, उसके बाद अतिरिक्त टिकट केवल 25% तक वेटिंग में दिए जाएँगे।
- यह नियम धानबाद से चलने वाले या उसमें ठहरने वाली ट्रेनों पर तुरंत लागू हो गया है। इसमें सभी श्रेणियां जैसे स्लिपर, 3AC और 2AC शामिल हैं english.dainikjagranmpcg.com+1timesbull.com+1।
- उदाहरण के तौर पर: यदि किसी ट्रेन में स्लिपर क्लास में जनरल क्वोटा 20 है, तो वेटिंग में केवल 5 टिकट योगदान दिए जाएंगे। इसी तरह, 3AC में 10 की जनरल बैठने की संख्या पर केवल 2–3 अतिरिक्त या 2AC में 8 जनरल पर 2 तक वेटिंग टिकट ही जारी किए जाएँगे ।
इस बदलाव के प्रमुख उद्देश्य
- ओवरबुकिंग की समस्या पर लगाम
- पहले वेटिंग टिकटों की संख्या सीमित नहीं होती थी, जिससे एक समय में बहुत ज्यादा लोग कन्फर्म टिकट मिलने की आशा में बंद हो जाते थे—जो पुलबैक जैसी स्थिति उत्पन्न कर देती थी।
- प्लेटफ़ॉर्म पर जनरल बुकिंग में सुधार
- अब यात्रियों को पता होगा कितनी सीटें उपलब्ध हैं, जिससे गलतफहमी और भीड़भाड़ की स्थिति कम होगी।
- सरकार और रेलवे की पारदर्शिता बढ़ेगी
- बड़े स्तर पर लगाए गए यह नियम यात्रियों को अंदाज़ा देगा कि कौनसी श्रेणी सुरक्षित है और किस पर अतिरिक्त शुल्क या सुविधा मिल सकती है।
प्रभाव और प्रतिक्रिया
- हानि होने पर विकल्प: यदि सीधे जनरल टिकट तक सीट उपलब्ध नहीं होती, यात्रियों को पास वाली छोटी स्टेशन तक जाने का विकल्प मिलेगा—उदाहरण के लिए, धानबाद से अगर कोलकाता तक सीट ना मिले तो अभी सहारनपुर तक टिकट मिल सकती है english.dainikjagranmpcg.com।
- सर्विस की सुधारणा: छोटे स्टेशनों पर भी इस नियम के कारण टिकट उपलब्धता में पारदर्शिता स्पष्ट होगी।
- दूसरे मुख्यमंत्री: Rajdhani, Duronto जैसी विशेष ट्रेनों में भी यह नियम लागू रहने से यात्रियों को पता चलेगा कि वेटिंग लिस्ट कितनी लंबी है और ओवरबुकिंग नहीं होगी।
क्या उम्मीद की जाए?
- यात्रियों को अब अधिक भरोसा और सुरक्षा मिलेगी कि जनरल क्वोटा में बैठने पर बेवजह ओवरबुकिंग नहीं होगी।
- वापसी की सुविधा के साथ योजना बनाई जा सकेगी—ट्रेन में सीट ना मिलने पर अगला स्टेशन विकल्प के रूप में सुरक्षित विकल्प होगा।
- रेलवे पोर्टल और मोबाइल ऐप्स में सीट उपलब्धता दर्शाने की प्रक्रिया में समीक्षा की जा सकती है।
निष्कर्ष
यह नया कदम भारतीय रेलवे की टिकट व्यवस्था में पारदर्शिता और यात्रियों की सुविधा को बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है।
हालांकि धीरे-धीरे और भी सुधार तथा यात्रियों की प्रतिक्रिया के अनुसार नियमों में बदलाव की आवश्यकता बन सकती है, लेकिन शुरूआती संकेत यात्रियों को संतुष्टि प्रदान करने वाले है