हाल ही में, विभिन्न राजनीतिक दलों का एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग (EC) से मिलने पहुंचा था। इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य ईवीएम (EVM) से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना था।
इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए एक ऐसा बयान दिया है जिसने देशभक्ति की आम परिभाषा पर सवाल खड़े कर दिए हैं और एक नई बहस छेड़ दी है।
उन्होंने कहा, “हमें यह सोचने की जरूरत है कि देशभक्त होना इतना मुश्किल क्यों है?”
खुर्शीद ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि देशभक्ति का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आपको हर दिन अपनी वफादारी साबित करनी पड़े या आपको इसके लिए कोई खास पोशाक पहननी पड़े।
उनका इशारा शायद उन लोगों की तरफ था जो देशभक्ति को कुछ बाहरी प्रतीकों, नारों या दिखावों से जोड़ते हैं और जो लोग इन चीजों में शामिल नहीं होते, उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाते हैं।
खुर्शीद के अनुसार, सच्चा देशभक्त होने के लिए किसी को “बाहर से अच्छा दिखने” या लगातार अपनी निष्ठा का प्रदर्शन करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि देशभक्ति एक आंतरिक भावना है, जो दिल से जुड़ी होती है।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में अक्सर राजनीतिक और सामाजिक चर्चाओं में देशभक्ति और राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों पर गरमागरम बहस होती रहती है। कई बार यह बहस इस बिंदु पर पहुंच जाती है जहां लोगों को अपनी देशभक्ति साबित करने का दबाव महसूस होता है।
सलमान खुर्शीद का यह दृष्टिकोण देशभक्ति को एक संकीर्ण दायरे से निकालकर व्यापक मानवीय मूल्य के तौर पर देखता है, जहां देश के प्रति प्रेम और निष्ठा किसी प्रदर्शन का मोहताज नहीं होती।
उनके इस बयान ने निश्चित रूप से इस सवाल को फिर से हवा दी है कि आखिर सच्ची देशभक्ति का अर्थ क्या है और इसे किस पैमाने पर मापा जाना चाहिए।