🏛️ मामले का पृष्ठभूमि
यह सारा विवाद मार्च 2025 में शुरू हुआ, जब दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने पर आधा जला हुआ भारी नकद बरामद हुआ। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीन-सदस्यीय इन-हाउस जाँच समिति गठित की, जिसने उन्हें लापरवाही का दोषी करार दिया।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने आगे सिफारिश की थी कि वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जाए, जिसे संसद में लाने की योजना चल रही थी।
📑 वर्मा की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
- जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें इन-हाउस जांच रिपोर्ट को रद्द करने और उस समिति की प्रक्रिया को अवैधानिक घोषित करने की माँग की गई है।
- यह याचिका—तत्काल महाभियोग प्रस्ताव से पहले—उचित न्याय और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने की मांग करती है।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया और विशेष बेंच
- चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने स्वयं अपने आप को इस मामले से अलग रखने का फैसला किया क्योंकि वे पहले से ही जांच या उससे जुड़ी चर्चाओं में शामिल थे।
- न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के लिए एक विशेष बेंच गठित करने का निर्णय लिया।
- हालांकि एक याचिका जिसे FIR दर्ज करने की मांग के साथ दायर की गई थी, उसे तुरंत नहीं सुना गया; अदालत ने कहा कि यह याचिका भी “कभी सूचीबद्ध होगी”।
📊 पार्लियामेंट की तैयारी और समर्थन
- पहला दिन मानसून सत्र में लगभग 200 सांसदों (63 राज्यसभा समेत) ने महाभियोग प्रस्ताव लाने का मसौदा प्रस्तुत किया, यह दर्शाता है कि राजनीतिक समर्थन व्यापक है।
- सरकार भी आश्वस्त है कि संसद में इस प्रस्ताव को पर्याप्त समर्थन मिल सकता है—जिसे भारतीय इतिहास में एक उच्चदायित्व का संकेत माना जा रहा है।
🧩 मामले की महत्ता और अगले कदम
- न्यायिक प्रक्रिया बनाम राजनीतिक प्रतिक्रिया
- क्या इन-हाउस जाँच उचित थी?
- क्या उसे संसद से पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?
- विशेष बेंच की भूमिका
- न्यायालय यह तय करेगा कि रिपोर्ट प्रक्रिया और निष्कर्ष कानूनी रूप से टिकाऊ हैं या नहीं।
- संशय और लोकतांत्रिक संतुलन
- महाभियोग का अभ्यास – एक न्यायाधीश को पद से हटाने की कोशिश – लोकतंत्र में नज़र रखने का महत्वपूर्ण पहलू है।
✍️ निष्कर्ष
यह मामला सीधे न्यायपालिका, विधायिका और उच्चतम न्यायालय के बीच संवैधानिक शक्ति-संतुलन को परख रहा है।
- क्या सुप्रीम कोर्ट निष्पक्ष तरीके से इन-हाउस जांच को देखेगा?
- क्या संसद पर्याप्त समर्थन के साथ महाभियोग प्रस्ताव पारित करेगा?
- क्या वर्मा को उचित अवसर मिलेंगे और क्या अगला कदम पद रिहाई या मामले की गहराई होगी?
इन सवालों का जवाब आने वाला दौर देगा। यह याचिका और विशेष बेंच की कार्यवाही भारतीय लोकतंत्र की एक बड़ी परीक्षा है।