कोलकाता में हाल ही में सामने आए लॉ कॉलेज की छात्रा के कथित गैंगरेप मामले ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में बड़ा उबाल ला दिया है। इस मुद्दे को लेकर शनिवार को भाजपा कार्यकर्ताओं और केंद्रीय मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसे पुलिस ने बीच में ही रोकते हुए मंत्री को हिरासत में ले लिया।
यह घटना न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि राजनीतिक टकराव को भी तीव्र करती है।
क्या है पूरा मामला?
कोलकाता के एक प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज की छात्रा के साथ कथित तौर पर परिसर के भीतर ही गैंगरेप की घटना सामने आई थी।
पीड़िता के परिवार और स्थानीय लोगों का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन और पुलिस ने पहले इस मामले को दबाने की कोशिश की।
घटना सामने आने के बाद पूरे राज्य में आक्रोश फैल गया और सरकार की चुप्पी पर सवाल उठने लगे।
सुकांत मजूमदार का विरोध प्रदर्शन
भाजपा के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने घटना की निंदा करते हुए शनिवार को कोलकाता में जुलूस निकाला।
विरोध प्रदर्शन के दौरान मजूमदार ने कहा:
“यह राज्य ममता बनर्जी की सरकार में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित बन चुका है। लोकतंत्र की हत्या हो रही है, और अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है।”
हालांकि पुलिस ने बिना अनुमति जुलूस निकालने का हवाला देते हुए उन्हें हिरासत में ले लिया।
ममता सरकार पर विपक्ष का हमला
घटना के बाद भाजपा, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने ममता सरकार पर कानून व्यवस्था की विफलता का आरोप लगाया है।
विशेष रूप से भाजपा का कहना है कि:
- राज्य में महिला अपराधों पर सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस नीति सिर्फ कागजों पर है।
- कॉलेज प्रशासन और आरोपी छात्रों को बचाने की कोशिश हो रही है।
- राज्य सरकार विपक्ष की आवाज़ दबा रही है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
कोलकाता पुलिस और राज्य प्रशासन ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि
- “मामले की जांच चल रही है और कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा।”
- पुलिस ने यह भी कहा कि विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं ली गई थी, इसलिए कार्रवाई की गई।
हालांकि राज्य सरकार की ओर से इस संवेदनशील घटना पर अब तक मुख्यमंत्री की ओर से कोई सीधी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
निष्कर्ष
कोलकाता लॉ कॉलेज की छात्रा से गैंगरेप का मामला अब केवल कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह राजनीतिक संघर्ष का केंद्र बन गया है।
सुकांत मजूमदार की गिरफ्तारी भाजपा के विरोध को और मुखर बना सकती है, और आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति में इसका गहरा असर देखने को मिल सकता है।
प्रशासन पर लोगों का भरोसा बहाल करने के लिए जरूरी है कि जांच निष्पक्ष हो और दोषियों को सख्त सजा मिले — चाहे वह किसी भी पार्टी या वर्ग से संबंध रखते हों।